नई दिल्ली : सीएए का नोटिफिकेशन जारी होने के बाद से राजनीतिक बयानबाजी जारी है. विपक्षी दल लगातार सीएए के विरोध में आवाज उठा रहे हैं. ऐसे में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का कहना है कि विपक्ष के पास कोई दूसरा काम नहीं है, तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है. उन्होंने कहा कि सीएए को कभी भी वापस नहीं लिया जाएगा.
अमित शाह ने एएनआई को दिए इंटरव्यू में कहा कि उन्होंने तो ये भी कहा था कि सर्जिकल स्ट्राइक और एयरस्ट्राइक में भी राजनीतिक लाभ है तो क्या हमें आतंकवाद के खिलाफ एक्शन नहीं लेना चाहिए था? विपक्ष ने तो आर्टिकल 370 हटाने को भी राजनीतिक लाभ से जोड़ा था. हम 1950 से कह रहे हैं कि हम आर्टिकल 370 हटाएंगे. उनकी हिस्ट्री है जो बोलते हैं करते नहीं है, मोदी जी की हिस्ट्री है जो बीजेपी या पीएम मोदी ने कहा वो पत्थर की लकीर है. मोदी की हर गारंटी पूरी होती है.
‘यह कानून असंवैधानिक नहीं है’
अमित शाह ने सीएए के असंवैधानिक होने के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह कानून संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन नहीं करता. उन्होंने कहा कि वे हमेशा आर्टिकल 14 की बात करते हैं. लेकिन भूल जाते हैं कि इस आर्टिकल में दो क्लॉज हैं. यह कानून आर्टिकल 14 का उल्लंघन नहीं करता. यह कानून उन लोगों के लिए है, जो बंटवारे के दौरान पाकिस्तान, अफगानिस्तान या बांग्लादेश में रहे और उन्हें वहां धार्मिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है और वे भारत आना चाहते हैं.
लोकसभा चुनाव से पहले सीएए का नोटिफिकेशन जारी करने के विपक्ष के दावे पर अमित शाह ने कहा कि सबसे पहले तो सीएए का नोटिफिकेशन जारी करने की टाइमिंग के बारे में बताना चाहूंगा. राहुल गांधी, ममता और केजरीवाल सहित पूरा विपक्ष झूठ की राजनीति कर रहा है इसलिए यहां टाइमिंग का सवाल नहीं उठता.
शाह ने कहा कि बीजेपी ने 2019 के अपने मैनिफेस्टो में भी स्पष्ट किया था कि हम सीएए लेकर आएंगे और पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेस के शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देंगे. बीजेपी का एजेंडा स्पष्ट था और अपने वादे के तहत 2019 में संसद के दोनों सदनों में सीएए को पारित किया गया. लेकिन कोरोना की वजह से इसमें देरी हो गई. चुनाव में जनाधार मिलने से पहले से ही सीएए को लेकर बीजेपी का एजेंडा स्पष्ट था.
‘अल्पसंख्यकों को CAA से डरने की जरूरत नहीं है’
इस कानून को लेकर विपक्ष के आरोपों पर पलटवार करते हुए शाह ने कहा कि मैं सीएए को लेकर कम से कम 41 बार अलग-अलग प्लेटफॉर्म से कह चुका हूं कि देश के अल्पसंख्यकों को इससे डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि इस कानून में देश के नागरिकों की नागरिकता लेने का कोई प्रावधान नहीं है. सीएए का उद्देश्य तीन देशों के हिंदुओं, सिखों, जैनियों, बौद्धों, पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता देना है.
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