किसलय शानू
रांची। फरार कुख्यात अमन साहू आज फर्जी हथियार प्लांट कर जेल भेजने के मामले में अधिकारियों के निलंबित से खुश है। उसने सोशल मीडिया फेसबुक के माध्यम से अपनी खुशी जाहिर की। अमन साहू ने सोशल मीडिया के माध्यम से कहा कि पहली बार लग रहा है कि वर्तमान सरकार के शासन में कुछ तो सही हो रहा है। पिछले सरकार के शासन में तो पुलिस अपराधी से भी बदतर हो गई थी।
उसने अपने पोस्ट में यह भी लिखा है कि झारखंड पुलिस पिछले 9 माह से मुझे खोज रही है। मगर, मैं भी भाग मिल्खा भाग मूवी में किरदार की तरह भागे जा रहा हूँ। मंगलवार की सुबह अमन ने यह पोस्ट शेयर कर अपनी खुशी जाहिर की। इसके बाद उसे चाहने वाले 44 लोग ने पोस्ट को लाइक भी कर दिया और 5 लोग ने कमेंट भी किया है। अमन ने पोस्ट के माध्यम से अखबार वालों की भी व्यथा को स्पष्ट किया है। जिसमें लिखा है कि दरअसल बहुत सी चीजे अखबार में नहीं आती है। क्योंकि अखबार के ऊपर भी प्रेशर है कि उन्हें क्या छापना है और क्या नहीं?
- क्या लिखा है अमन ने पोस्ट में
आज अखबार पत्रों के माध्यम से पता चला कि हथियार प्लांट करके जेल भेजने के मामले में पतरातू पुलिस के कुछ अधिकारियों को निलंबित किया गया है। पहली बार लग रहा है कि वर्तमान सरकार के शासन में कुछ तो सही हो रहा है। आज झारखंड पुलिस पिछले 9 महीने से मुझे गिरफ्तार करने के लिए काफी मेहनत कर रही है, और मैं भाग मिल्खा भाग के मूवी के किरदार की तरह भाग रहा हूं। ये हालत पैदा नहीं हुई होती, जब मुझे भी इसी तरह 20 मई 2019 को दुमका जेल से छूटने के बाद जेल गेट से उठवा कर हथियार प्लांट करके पतरातू थाने से ही 22 मई 2019 को तत्कालीन रामगढ़ एसपी निधि मैडम के द्वारा जेल नहीं भेजा गया होता।
- पोस्ट में सीआईडी के एडीजी व हजारीबाग डीआईजी की प्रशंसा
सोशल मीडिया के माध्यम से अमन साहू ने एडीजी और डीआईजी की प्रशंसा की। उसने अपने पोस्ट में लिखा है कि राजेश राम के मामले में कार्यवाई से सीआईडी के वर्तमान एडीजी साहब और हजारीबाग के डीआईजी महोदय की ईमानदार छवि एक बार फिर से निखर कर सामने आयी है। पर इस कार्यवाई में भी मेरे हिसाब से कुछ लीपा पोती हुई है। इस घटना में पतरातू थाना प्रभारी सहित जितने भी छोटे कर्मचारी निलंबित हुए है। मेरे जानकारी के अनुसार वो इस खेल में सहयोगी है। मगर, मुख्य साजिशकर्ता कौन है? यह पूरा सिस्टम जानता है।
- जिला के कप्तान के बिना इशारे नही होता कुछ काम
सोशल मीडिया पोस्ट में अमन ने यह भी लिखा है कि किसी भी जिला में एक-दो मामले को छोड़कर अगर ऐसा कोई फर्जी कार्यवाई होता है, तो यह समझ लीजिए कि जिला के पुलिस कप्तान महोदय के इशारे के बिना नहीं होता। दारोगा तो बेचारे आदेश का पालन करने में ही अपनी पूरी नौकरी खत्म कर देते है और अगर एक दो ईमानदार तेज तर्रार दारोगा यह सब गलत चीजों से किनारा करते है। या पुलिस कप्तान के आदेश का पालन नहीं करते हैं। तो, उस एसपी के कार्यकाल तक उक्त दरोगा की ड्यूटी पुलिस लाइन, कैदी स्काउट, कोर्ट हाजत प्रभारी, यातायात प्रभारी की ड्यूटी बजाने पर गुज़रती है।