रांची : सुखाड़ से किसानों को राहत दिलाने के लिए केंद्र से मिली सिर्फ 502 करोड़ रुपए खर्च करने की अनुमति पर कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कहा कि राज्य सरकार पिछली बार सुखाड़ का आकलन किया था। केंद्र सरकार की टीम भी आई थी। रघुवर सरकार के दौरान भी 2018-2019 में सुखाड़ पड़ा था। उस समय भी केंद्र सरकार ने कोई सहायता नहीं की। हालांकि तत्कालीन सचिव ने सभी बातों को जायज ठहराते हुए किसानों को राहत देने की मांग की थी। उस समय भी एक भी पैसा नहीं मिला।
कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि जब 2022-23 में 238 प्रखंड में सुखाड़ पड़ा राज्य सरकार ने एक मेमोरंडम दिया, जो 96 हजार 82 सौ करोड़ 79 लाख रुपए का था। उसके विरुद्ध केंद्र सरकार ने कहा कि राज्य आपदा मोचन निधि जिसका फंड राज्य के पास है आप उससे 502 करोड़ 52 लाख तक खर्च कर सकते हैं। जबकि केंद्र की टीम ने भी इसको जायज ठहराया। उसके बावजूद हाई लेवल कमेटी ने 96 हजार 82 सौ करोड़ के विरुद्ध मात्र 502 करोड़ की सहमती दी, साथ ही मुफ्त सुझाव दिया कि ये राज्य आपदा मोचन निधि से ले सकते हैं।
कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि मतलब ये हुआ कि यहां के किसानों को उनके द्वारा नहीं दिया गया। ये सरासर नाइंसाफी है जिसका हम विरोध करते हैं। और पुनः मांग करते हैं कि लगातार दूसरे साल राज्य में सुखाड़ स्थिति दिख रही है। हालांकि अभी समय है। 15 अगस्त तक हमलोग इसको देख रहे हैं। सरकार भी हाई अलर्ट है। 2018-19 में भी जब उनकी सरकार थी तब भी सुखाड़ पड़ा था। उस समय भी झारखंड के किसानों को राहत नहीं दी गई।