Joharlive Team
गढ़वा : ग्राम-चेचरिया, प्रखंड-मेराल, गढ़वा के निवासी ऋषि कुमार तिवारी हैं बताते हैं कि वर्षों से गढ़वा जिला सूखे से ग्रस्त रहता आ रहा है. विदित हो कि वृष्टि छाया की असामान्य होने के कारण प्रभाव गंभीर रहा है. वर्षा की मात्रा 1400 एम०एम० से घटकर औसत 900 एम०एम० तक रह गई है. यह क्षेत्र तिल, अरहर की मिश्रित खेती तथा धान की बड़े पैमाने पर खेती के लिए उपयुक्त है. लेकिन वर्षापात में कमी के कारण इन सभी खरीफ फसलों की खेती प्रभावित हुई है.
इस समस्या की विवेचना आत्मा विभाग गढ़वा, के०भी०के०, जिला कृषि विभाग गढ़वा, बी०ए०यू० एवं कुशल कृषको के बीच की गई. जिसके अंतर्गत जिले कि कृषि प्रणाली को बेहतर बनाने के उद्देश्य से कृषि विभाग द्वारा कुछ नए प्रकार के समाधान की दिशा में प्रयास किए गए, जिसमें सफलता भी मिली.
ऋषि कुमार बताते हैं कि, विगत वर्ष कृषि विभाग द्वारा उपलब्ध बीज से एक एकड़ भूमी में जून माह में सोयाबीन की बुवाई की गई. जिसमें कुल 8 हज़ार 900 रुपये खर्च लगा व 24 हज़ार 320 रुपये की आमदनी लाभुक द्वारा की गई. इससे साफ तौर पर जाहिर होता है कि लाभुक द्वारा 15 हज़ार 420 रुपये प्रति एकड़ का शुद्ध लाभ प्राप्त किया गया. ऋषि कुमार बताते हैं कि परंपरागत तिल व अरहर की तुलना में सोयाबीन की पैदावार ज्यादा पाई गई है साथ ही इस स्थिति में रबी की खेती के लिए उपजाऊ खेत खाली मिल जाता है जिससे आमदनी और अच्छी हो रही है.
इसके अलावा जिला कृषि विभाग के सलाहनुसार नवंबर माह में राजमा बो कर मात्र तीन हल्की सिंचाई के सहारे मार्च में काट लेना है, इसका अनुभव भी कुछ खेतों में किया गया. जिसका परिणाम सराहनीय रहा. हमारे द्वारा इसे लगभग ₹70 प्रति किलो की दर से बाज़ार में बेचा जा रहा है.
साथ ही जीरा व सौफ कि खेती भी प्रयोग के तौर पर कृषक द्वाराकि जा रही है . जीरा की खेती 3 वर्षों से प्रयोग आधीन है. परन्तु हर वर्ष कोहरा के प्रकोप से नुकसान की मात्रा एवं क्वालिटी में कमी हुई है. इसके लिए हम कृषक जिला कृषि विभाग से व वैज्ञानिकों से सलाह की अपेक्षा करते है. इतना ही नहीं हमारे द्वारा ब्रोकली कि खेती भी कि जा रही है. लेकिन बाजार में इसके प्रति व्यवहार अच्छा नहीं है. ब्रोकली कि खासियत यह है कि इसे प्रोसेसिंग कर मौसम के दूसरे माह में भी प्रयोग किया जा सकता है. यदि इसके स्टोरेज व रख रखाव के लिए जिला प्रशाशन से सहयोग मिले तोह कृषक इसमें अच्छी आमदनी कर सकते है.