JoharLive Desk
नई दिल्ली : भारत और पाकिस्तान ने गुरुवार को करतारपुर कॉरिडोर को चालू करने वाले ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसके साथ ही अब भारत से सिख श्रद्धालु पाकिस्तान के करतापुर स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब में दर्शन के लिए जा सकेंगे। दोनों ही देशों ने नरोवाल में भारत-पाकिस्तान सीमा पर करतारपुर जीरो प्वॉइंट पर हस्ताक्षर किए। इसके साथ ही अब कॉरिडोर को खोलने वाली कानूनी अड़चन भी खत्म हो गई है। तीनों दौर की लंबी वार्ता के बाद समझौते को अंतिम रूप दिया गया।
समझौते के तहत गुरुद्वारा दरबार साहिब दर्शन के लिए रोजाना भारत से 5000 श्रद्धालु बिना वीजा के जा सकेंगे। श्रद्धालु सुबह में यहां आएंगे और गुरुद्वारा दरबार साहिब में दर्शन कर शाम तक लौटेंगे। भारत की आपत्ति के बावजूद पाकिस्तान भारत से आने वाले प्रति श्रद्धालु से 20 डॉलर (1420 रुपये) का सेवा शुल्क लेगा। गुरुद्वारा दरबार साहिब में सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव ने अपने जीवन के अंतिम 18 वर्ष बिताए थे।
गुरु नानक के 550वे प्रकाश पर्व के अवसर पर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान 9 नवंबर को औपचारिक रूप से इसका उद्घाटन करेंगे। मालूम हो कि पिछले साल उपराष्ट्रपति वैंकेया एम वेंकैया नायडू ने पिछले साल नवंबर में पंजाब के गुरदासपुर जिले में करतारपुर गलियारे का भारतीय क्षेत्र में आने वाले हिस्सा का शिलान्यास किया था।
गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव एससीएल दास ने कहा है कि इस समझौते पर हस्ताक्षर के साथ, करतारपुर साहिब कॉरिडोर के संचालन के लिए एक औपचारिक रूपरेखा तैयार की गई है। उन्होंने कहा कि सभी धर्मों के भारतीय तीर्थयात्री और भारतीय मूल के व्यक्ति करतारपुर कॉरिडोर का उपयोग कर सकते हैं। यात्रा वीजा मुक्त होगी। तीर्थयात्रियों को केवल एक वैध पासपोर्ट ले जाने की आवश्यकता है।
दास ने कहा कि कॉरिडोर सुबह से शाम तक खुला रहेगा। सुबह यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों को उसी दिन वापस लौटना होगा। अधिसूचित दिनों को छोड़कर, कॉरिडोर पूरे साल चालू होगा। उन्होंने बताया कि श्रद्धालुओं के रजिस्ट्रेशन के लिए आज से ऑनलाइन पोर्टल की शुरुआत हो गई है।
दास ने आगे कहा कि हमारी ओर से, राजमार्ग और यात्री टर्मिनल भवन सहित सभी आवश्यक बुनियादी ढांचे गलियारे के समय पर उद्घाटन के लिए पूरा होने वाले हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान पक्ष गुरुद्वारा परिसर में ‘लंगर’ और ‘प्रसाद’ के वितरण के लिए पर्याप्त प्रावधान करने पर सहमत हो गया है।
करतारपुर कॉरिडोर सिखों के लिए सबसे पवित्र जगहों में से एक है। करतारपुर साहिब सिखों के प्रथम गुरु गुरुनानक देव जी का निवास स्थान था। गुरु नानक ने अपनी जिंदगी के आखिरी 17 साल पांच महीने नौ दिन यहीं गुजारे थे। उनका परिवार भी यहीं आकर बस गया था। गुरु नानक देव के माता-पिता का देहांत भी यहीं हुआ था। इस लिहाज से यह पवित्र स्थल सिखों के मन से जुड़ा धार्मिक स्थान है।
खस्ताहाल हो चुकी पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को करतारपुर कॉरिडोर खुलने से थोड़ी राहत मिलेगी। इस कॉरिडोर से उसे सालाना 259 करोड़ रुपये की आय होगी। दरअसल वह भारत से आने वाले प्रति श्रद्धालु से 20डॉलर सेवा शुल्क वसूल रहा है। रोजाना 5000 श्रद्धालुओं को दर्शन की मंजूरी देने के हिसाब से उसे करीब 71 लाख की आमदनी होगी। चूंकि यात्रा साल के 365 दिन चलेगी, इससे पाकिस्तान को सालाना 259करोड़ भारतीय रुपये की आय होगी जबकि पाकिस्तानी मुद्रा में यह आय 555 करोड़ रुपये होगी।