देहरादून : उत्तरकाशी टनल हादसे के बाद एनएचएआई (भारतीय राष्ट्रीय राज मार्ग प्राधिकरण) ने देश में बन रहे दो दर्ज़न से अधिक सुरंगों का सेफ्टी ऑडिट कराने का फैसला किया है.

  • समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, एनएचएआई ने दुर्घटनाओं से बचाव के लिए देश में बन रहे 29 सुरंगों का सेफ्टी ऑडिट कराने का फ़ैसला लिया है.
  • सेफ्टी ऑडिट के इस कार्य में NHAI के अधिकारियों के साथ दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) के अधिकारी सहयोग करेंगे.
  • सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि ये दोनों संस्थाएं मिलकर जांच कर के एक हफ़्ते के भीतर अपनी रिपोर्ट जमा करेंगी.
  • सरकार के बयान के अनुसार, ”निर्माण के दौरान सुरक्षा और उच्चतम गुणवत्ता मानकों का पालन तय करने की ख़ातिर एनएचएआई देश के सभी 29निर्माणाधीन सुरंगों का सेफ्टी ऑडिट करेगी.”
  • इनमें से 12 सुरंग हिमाचल प्रदेश में हैं, जबकि जम्मू और कश्मीर में छह और बाक़ी के सुरंग उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों में हैं.

मजदूरों की सुरक्षा को गंभीरता से नहीं लिया जाताः मज़दूर संगठन

देश के मजदूर संगठनों ने कहा है कि उत्तरकाशी के टनल में 41 लोगों के फंसने के वाकये से ये एक बार फिर सामने आ गया है कि सरकार मज़दूरों की सुरक्षा को लेकर ‘कितना ग़ैरज़िम्मेदाराना रवैया’ रखती है. 11 ट्रेड यूनियनों और सेक्टोरल फेडरेशनों के बयान में कहा गया है, “केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और सेक्टोरल फेडरेशन/एसोसिएशन उत्तराकाशी का सिल्क्यारा सुरंग ढहने में प्रशासन की विफलता पर दुख व्यक्त करता है.”

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, कर्मचारी संगठनों का कहना है कि वर्कप्लेस पर सुरक्षा के मामले में क़ानून कितने कमज़ोर हैं इस घटना ने उसे उजागर कर दिया है. सिल्क्यारा टनल में जो हुआ है वो ऐसी तमाम घटनाओं में से एक है. यूनियन का कहना है कि केंद्र की ओर से जो टीम पूरे ऑपरेशन की निगरानी के लिए भेजी गयी वो काफ़ी देरी से पहुंची.

बयान में कहा गया, “लंबी सुरंगों के निर्माण में एक बचाव टनल तैयार किया जाता है और ये टनल इमरजेंसी प्लान का हिस्सा होता है, ये ज़रूरी होता है. लेकिन सिल्क्यारा टनल बनाते समय इसकी कोई योजना ही नहीं की गयी.”

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