Joharlive Team
पटना। बिहार में अगले हफ्ते पहले चरण के लिए मतदान होना है। आज राज्य के सासाराम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली चुनावी रैली की। उन्होंने रामविलास पासवान और रघुवंश प्रसाद को श्रद्धांजलि दी। वहीं लोक जनशक्ति पार्टी या चिराग पासवान को लेकर एक शब्द भी नहीं कहा। प्रधानमंत्री ने गलवां घाटी में शहीद हुए बिहार रेजिमेंट के जवानों को भी याद किया। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने नीतीश कुमार के महागठबंधन से अलग होने के फैसले का समर्थन किया। इस दौरान उन्होंने विपक्ष पर जमकर निशाना साधा। प्रधानमंत्री ने कहा कि एमएसपी तो केवल बहाना है असल में ये लोग बिचौलियो को बचाना चाहते हैं। उन्होंने बिहार के भविष्य के लिए राज्य में एनडीए की सरकार बनाने का अनुरोध किया।
साथियों आज एनडीए के सभी दल मिलकर आत्मनिर्भर, आत्मविश्वासी बिहार के निर्माण में जुटे हैं। बिहार को अभी भी विकास के सफर में मीलों आगे जाना है। नई बुलंदी की तरफ उड़ान भरनी है।
बाद में 18 महीने क्या हुआ, ये आप भली-भांति जानते हैं। इन 18 महीनों में परिवार ने क्या-क्या किया, कैसे-कैसे खेल किए, ये भी किसी से छिपा नहीं है। जब नीतीश जी ये समझ गए कि इन लोगों के साथ रहते हुए बिहार का भला तो छोड़िए, बिहार और 15 साल पीछे चला जाएगा तो उन्हें फैसला लेना पड़ा।
जब बिहार के लोगों ने इन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया, नीतीश जी को मौका दिया तो ये बौखला गए। उनके अंदर एक गुस्सा आया और जहर भर गया और इसके बाद इन्होंने 10 सालों तक दिल्ली में यूपीए सरकार में रहते हुए बिहार पर, बिहार के लोगों पर अपना गुस्सा निकाला।
बिहार के विकास की हर योजना को अटकाने और लटकाने वाले ये लोग हैं जिन्होंने अपने 15 साल के शासन में लगातार बिहार को लूटा। आपने बहुत विश्वास के साथ सत्ता सौंपी थी लेकिन इन्होंने सत्ता को अपनी तिजोरी भरने का माध्यम बना लिया।
हम बिहार के भविष्य के लिए एक बार फिर नीतीश जी के साथ आए हैं।
मैं बिहार की भूमि से इन लोगों को एक बात स्पष्ट कहना चाहता हूं- ये लोग जिसकी चाहे मदद ले लें, देश अपने फैसलों से पीछे नहीं हटेगा। भारत अपने फैसलों से पीछे नहीं हटेगा।
इन लोगों को आपकी जरूरतों से कभी सरोकार नहीं रहा। इनका ध्यान रहा है अपने स्वार्थों पर, अपनी तिजोरी पर। यही कारण है कि भोजपुर सहित पूरे बिहार में लंबे समय तक बिजली, सड़क, पानी जैसी मूल सुविधाओं का विकास नहीं हो पाया।
इतना कहने के बाद भी ये लोग बिहार के लोगों से वोट मांगने की हिम्मत दिखा रहे हैं। जो बिहार अपने बेटे-बेटियों को सीमा पर देश की रखवाली के लिए भेजता है क्या ये उसकी भावना का अपमान नहीं है।
जम्मू कश्मीर से आर्टिकल-370 हटने का इंतजार देश बरसों से कर रहा था या नहीं। ये फैसला हमने लिया, एनडीए की सरकार ने लिया। लेकिन आज ये लोग इस फैसले को पलटने की बात कर रहे हैं। ये कह रहे हैं कि सत्ता में आए तो आर्टिकल-370 फिर लागू कर देंगे।
जब-जब, बिचौलियों और दलालों पर चोट की जाती है, तब-तब ये तिलमिला जाते हैं, बौखला जाते हैं। आज हालत ये हो गई है कि ये लोग भारत को कमजोर करने की साजिश रच रहे लोगों का साथ देने से भी नहीं हिचकिचाते।
मंडी और एमएसपी तो बहाना है, असल में दलालों और बिचौलियों को बचाना है। लोकसभा चुनाव से पहले जब किसानों के बैंक खाते में सीधे पैसे देने का काम शुरु हुआ था, तब इन्होंने कैसा भ्रम फैलाया था। जब राफेल विमानों को खरीदा गया, तब भी ये बिचौलियों और दलालों की भाषा बोल रहे थे।
कोरोना के इस समय में भी गरीबों को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए एनडीए सरकार ने काम किया है। जहां कभी गरीब का राशन, राशन की दुकान में ही लुट जाता था, वहां कोरोना काल में गरीबों को मुफ्त राशन मिला है।
देश जहां संकट का समाधान करते हुए आगे बढ़ रहा है, ये लोग देश के हर संकल्प के सामने रोड़ा बनकर खड़े हैं। देश ने किसानों को बिचौलियों और दलालों से मुक्ति दिलाने का फैसला लिया तो ये बिचौलियों और दलालों के पक्ष में खुलकर मैदान में हैं।
गरीब दीवाली और छठ पूजा ठीक से मना सके, इसके लिए मुफ्त अनाज की व्यवस्था की गई है। इसी कोरोना के दौरान करोड़ों गरीब बहनों के खाते में सीधी मदद भेजी गई, मुफ्त गैस सिलेंडर की व्यवस्था की गई।
शहरों में जो रेहड़ी, ठेला, चलाने वाले साथी हैं, उनके लिए भी बैंकों से आसान ऋण सुनिश्चित कराया जा रहा है ताकि वो अपना काम फिर शुरू कर सकें।
2014 में केंद्र में सरकार बनने के बाद जितने समय बिहार को डबल इंजन की ताकत मिली, राज्य के विकास के लिए और ज्यादा काम हुआ है। राज्य को जो प्रधानमंत्री पैकेज मिला था, उसपर काम की रफ्तार भी तेज गति से आगे बढ़ रही है।