रांची: ज्यादातर लोग निजी अस्पताल में इसलिए भर्ती होते हैं ताकि उन्हें बेहतर सुविधा मिले. प्रबंधन की लापरवाही से न जूझना पड़े, लेकिन अगर निजी अस्पताल में ही डॉक्टरों की लापरवाही की वजह से मरीज की मौत हो जाए तो फिर निजी अस्पताल के प्रति भी लोगों का आक्रोश बढ़ने लगता है. कुछ ऐसा ही मामला राजधानी के एक प्रसिद्ध निजी अस्पताल में देखने को मिला.
दरअसल 30 वर्षीय अनु नाम की गर्भवती महिला रविवार को लेबर पेन होने के बाद अल्बर्ट एक्का चौक स्थित निजी अस्पताल में भर्ती हुई. जहां डॉक्टर रश्मि राय की निगरानी में उसका इलाज किया जा रहा था. लेबर पेन में बढ़ोतरी होने के बावजूद डॉक्टर रश्मि राय ने परिजनों को कहा कि महिला की डिलीवरी नॉर्मल तरीके से करनी है. जबकि परिजन और मरीज दोनों ही सिजेरियन कर बच्चे को जन्म देना चाहते थे. लेकिन डॉ रश्मि राय नॉर्मल डिलीवरी की बात बार-बार कर रही थी. अंत में नॉर्मल डिलीवरी के द्वारा ही महिला ने एक बच्ची को जन्म दिया, लेकिन बच्चे को जन्म देते ही महिला की तबीयत ज्यादा खराब हो गई. अत्यधिक रक्तस्त्राव होने की वजह से मौत हो गई.
मौत के बाद मृतक की बहन ने बताया कि प्रेगनेंसी के पहले महीने से ही रश्मि राय के निगरानी में अनु कुमारी का इलाज चल रहा था, लेकिन अंतिम समय में रश्मि राय के अस्पताल में नहीं रहने की और ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों की लापरवाही से अनु की मौत हो गई. परिजनों ने आरोप लगाते हुए कहा कि डॉ. रश्मि राय शुरू से ही मरीज की देखरेख कर रही थी तो रविवार को वह अस्पताल में देखने के लिए क्यों नहीं पहुंची या फिर उनकी जगह कोई और डॉक्टर क्यों नहीं आए.सोमवार को भी डॉक्टर रश्मि राय अस्पताल काफी लेट से पहुंची. जिस वजह से अनु कुमारी को दिनभर लेबर पेन से जूझना पड़ा. बार-बार विनती करने के बावजूद डॉक्टर नॉर्मल डिलीवरी पर ही जोर देते रहे, जिससे मरीज की हालत खराब होती चली गई और मंगलवार को उसकी जान चली गई. परिजनों ने सीधा-सीधा अस्पताल और अस्पताल के कर्मचारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि यदि समय पर डॉक्टर पहुंच जाते हैं तो मरीज की जान बच जाती.
वहीं मिली जानकारी के अनुसार देर शाम कडरू की रहने वाली एक और मरीज की स्थिति खराब हो गई थी. जिससे परिजन आक्रोशित हो रहे थे. मंगलवार देर शाम अस्पताल की बात करें तो मानो रण क्षेत्र में तब्दील हो गया था. अस्पताल में लगातार बढ़ रही भीड़ को देखते हुए मौके पर लोअर बाजार थाना की पुलिस पहुंची. जिन्होंने आक्रोशित लोगों को समझाने बुझाने का काम किया.