रामगढ़: जमीन अधिग्रहण के बाद लिपिकों ने गलत लाभुकों के खाते में मुआवजे की राशि भेज दी. जांच में इसका खुलासा होने के बाद डीसी चंदन कुमार ने दोनों लिपिकों पर कार्रवाई करने का आदेश जारी कर दिया है. वहीं दोनों को अनिवार्य सेवानिवृति देने का भी आदेश दिया गया है. बता दें कि नवंबर 2017 में राष्ट्रीय राजमार्ग 33 सड़क चौड़ीकरण अंतर्गत अधिग्रहित मौजा जोड़ाकरम में रैयत कार्तिक मांझी, बुधो मांझी, खड़े मांझी इत्यादि के अधिग्रहित भूमि के विरुद्ध फर्जी तरीके से किसी अन्य लाभुक के खाते में मुआवजा की राशि का भुगतान कर दिया गया. संबंधित मामले में जिला भू अर्जन कार्यालय में पदस्थापित दो उच्च वर्गीय लिपिक केशव प्रसाद और संजीव कुमार सिन्हा को अनिवार्य सेवा निवृत्ति देने का आदेश उपायुक्त चंदन कुमार ने दिया है.
क्या मिला जांच में
जांच में ये बातें सामने आई कि कार्तिक मांझी की जगह पर सहदेव नाम के व्यक्ति, बुधो मांझी के जगह पर किसी अन्य गांव के बुधन मांझी व खड़े मांझी की जगह पर मंगरा मांझी (उर्फ खड़े मांझी) के खाते में मुआवजे की राशि का भुगतान किया गया है. जबकि खड़े मांझी द्वारा दिए गए शपथ पत्र में दर्शाया गया है कि खड़े मांझी के द्वारा अंगूठे का प्रयोग किया गया है जबकि मंगरा मांझी द्वारा खाते के दस्तावेजों में हस्ताक्षर किया गया है. यह मामला न केवल काफी गंभीर है बल्कि अनुसूचित जनजाति के रैयत लाभुकों के 2 करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि का हस्तांतरण फर्जी रैयत लाभुक खड़े कर उनके खाते में किया गया. जिस पर झारखंड सरकारी सेवक नियमावली 2016 के भाग V, कंडिका 14,(IX) के अनुरूप दोनों उच्च वर्गीय लिपिकों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति का दंड अधिरोपित किया है.
नहीं की गई कार्रवाई
जांच में यह भी पाया गया कि केशव प्रसाद एवं संजीव कुमार सिन्हा के अलावा उच्च वर्गीय लिपिक प्रवीण कुमार सिन्हा पर जून 2022 में ही आरोप सिद्ध हो चुका था. इसके बावजूद उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. जुलाई 2023 तक उनकी सेवानिवृत्ति का इंतजार किया गया. समाहरणालय के कर्मियों व अधिकारियों की मिली भगत की आशंका को देखते हुए उपायुक्त ने दोषी पाए जाने के बाद कोई कार्रवाई नहीं किए जाने पर स्पष्टीकरण पूछा है.