Johar live desk : मारबर्ग वायरस एक अत्यधिक संक्रामक और घातक वायरस है, जो इबोला की तरह ही फैलता है। यह वायरस अफ्रीकी चमगादड़ों से उत्पन्न होता है और संक्रमित व्यक्तियों के शारीरिक तरल पदार्थ या दूषित सतहों के संपर्क में आने से फैलता है।
हाल ही में, तंजानिया में मारबर्ग वायरस के प्रकोप से 8 लोगों की मौत हो गई है, जिसके बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सतर्कता बरतने की सलाह दी है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, अगर उपचार नहीं कराया गया तो मारबर्ग वायरस के प्रकोप से बीमार पड़ने वाले 88 प्रतिशत लोगों के लिए यह घातक हो सकता है।
मारबर्ग वायरस के लक्षणों में बुखार, मांसपेशियों में दर्द, दस्त, उल्टी और कुछ मामलों में अत्यधिक रक्त हानि से मौत होना भी शामिल है। फिलहाल, मारबर्ग वायरस के लिए कोई अधिकृत उपचार या टीका उपलब्ध नहीं है।
यह वायरस पहली बार 1967 में जर्मन शहर मारबर्ग में पहचाना गया था, और तब से यह अफ्रीका में कई घातक प्रकोप उत्पन्न कर चुका है। रवांडा में भी हाल ही में मारबर्ग वायरस का प्रकोप रिपोर्ट किया गया था, जिसमें 15 लोगों की मौत हो गई थी।मारबर्ग वायरस के प्रकोप को रोकने के लिए, डब्ल्यूएचओ ने कई सिफारिशें की हैं।
इनमें से कुछ में शामिल हैं:
संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आने से बचना,दूषित सतहों के संपर्क में आने से बचना,सुरक्षित दफन प्रक्रियाओं का पालन करना,स्वस्थ्य कर्मियों को सुरक्षित उपकरण प्रदान करना , जनसंख्या को जागरूक करना और उन्हें सुरक्षा उपायों के बारे में शिक्षित करना।
यह महत्वपूर्ण है कि हम मारबर्ग वायरस के प्रकोप को रोकने के लिए एकजुट हों और सावधानी बरतें। हमें अपने स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होना चाहिए और डब्ल्यूएचओ की सिफारिशों का पालन करना चाहिए।
Read alsoमहाकुंभ के लिये प्रयागराज तक अब डेली फ्लाइट, कहां से…जानिये
Read also: महाकुंभ के आधे रास्ते से ही अचानक लौटना पड़ा, जानें क्यों