रांची: कोरोना और ब्लैक फंगस के बीच अब एक नए वायरस का खतरा बढ़ गया है. नए वायरस का नाम है जीका(Zika). केरल में दो दर्जन से ज्यादा लोगों में जीका वायरस की पुष्टि के बाद झारखंड में भी अब इसके संक्रमण का डर सताने लगा है. झारखंड में इस वायरस का खतरा इसलिए भी ज्यादा क्योंकि यह वायरस डेंगू और चिकनगुनिया फैलाने वाले एडीज मच्छर से इंसान के शरीर में फैलता है.
जीका से पैरालिसिस का भी खतरा
सदर अस्पताल के मेडिकल अफसर डॉ. अजीत कुमार का कहना है कि जीका का खतरा झारखंड और खासकर रांची में ज्यादा है क्योंकि यहां वर्ष 2018-2019 में डेंगू का आउट ब्रेक हो चुका है. लगातार कोशिशों के बावजूद बड़ी संख्या में एडीज मच्छरों का लार्वा घरों में ही जमा पानी के कंटेनरों में पल रहा है जिससे मच्छर का प्रकोप बढ़ा है. रेडियोलाजिस्ट डॉ. एस प्रसाद का कहना है कि यह वायरस इसलिए भी खतरनाक है क्योंकि गर्भवती महिलाओं को यह बीमारी हुई, तो नवजात को कई बिमारियों का खतरा रहता है. नवजात को पैरालिसिस की भी आशंका रहती है.
जीका के बारे में विशेषज्ञ बताते हैं कि ज्यादातर केस में कोई लक्षण नहीं पता चलता. गर्भवती महिलाओं के लिए यह वायरस बहुत खतरनाक है. सिर दर्द, बुखार, शरीर में तेज दर्द, आंखें लाल होना, स्किन पर रैशेज इस वायरस के प्रमुख लक्षण हैं.
ढाई हजार कंटेनर में मिला एडीज का लार्वा
झारखंड में 15 जून से 15 नवंबर तक एडीज मच्छर के लार्वा को समाप्त करने के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है. स्वास्थ्य विभाग सभी नगर निकायों के साथ मिलकर यह अभियान चला रहा है. सिर्फ जून महीने में ही 33 हजार घरों के 75 हजार कंटेनर की जांच हुई. इसमें 1800 घरों में ढाई हजार से ज्यादा कंटेनर में एडीज मच्छर का लार्वा मिला. स्वास्थ्य विभाग की राज्य सलाहकार कीट विज्ञानवेत्ता संज्ञा सिंह कहती हैं कि डेंगू और चिकनगुनिया के खतरे को कम करने के लिए व्यापक रूप से चल रहे अभियान से लोगों में जागरुकता आएगी. इससे जीका वायरस का खतरा भी कम होगा.
ऐसे बचें जीका वायरस से
जीका वायरस एडीज मच्छर के काटने से इंसान के शरीर तक पहुंचता है. ऐसे में मच्छर से बचाव, घर में कूलर, घड़ा या किसी भी बर्तन में पानी जमा नहीं होने दें. आसपास के पानी जमने वाले जगहों पर एंटीलार्वा दवा का छिड़काव कर और मच्छरदानी का उपयोग कर जीका वायरस के खतरे को कम किया जा सकता है.