JoharLive : जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में बीते 22 अप्रैल को मौत का नंगा नाच करने वाले आतंकी आदिल अहमद ठोकर ने पाकिस्तान जाकर पूरी ट्रेनिंग ली थी। वह स्टूडेंट वीजा पर पाकिस्तान गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आदिल साल 2018 में ही पाकिस्तान गया था। वह मूल रूप से जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के बिजबेहरा के गुर्रे गांव का रहने वाला है। मिली जानकारी के अनुसार आदिल अहमद ठोकर की विचारधारा पाकिस्तान जाने से पहले ही कट्टरपंथी हो गयी। वह भारत में रहते हुए बॉर्डर पार के आतंकी संगठनों से जुड़े लोगों के संपर्क में था।
पाकिस्तान पहुंचते ही गायब हो गया था आदिल
साल 2018 में जब वह पाकिस्तान गया तो अचानक गायब हो गया। उसका फोन तक स्विच ऑफ रहने लगा। करीब आठ महीने तक उसका कोई अता-पता नहीं चल पाया था। इस दौरान उसने एक बार भी अपने घर तक में संपर्क नहीं किया। उसके घरवालों को उसकी चिंता भी होती थी। खुफिया एजेंसियों ने उसकी डिजिटल एक्टिविटी के जरिये उसे खोजने की कोशिश भी की, पर कोई फायदा नहीं हुआ। एजेंसियों ने उसके घर पर भी नजर रखी, पर नतीजा सिफर रहा।
लश्कर-ए-तैयबा से ली मिलिट्री की ट्रेनिंग
खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आदिल अहमद ठोकर पाकिस्तान में आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के हैंडलर्स के टच में था। वहां वह कट्टरपंथी विचारधारा और मिलिट्री ट्रेनिंग ले रहा था। खुद को पूरी तरह से तैयार करने के बाद वह साल 2024 में वापस भारत लौटा। आदिल पुंछ-राजौरी सेक्टर के दुर्गम इलाके से LoC पार कर भारत में दाखिल हो गया। वह अपने साथ पाकिस्तान से हाशिम मूसा उर्फ सुलेमान और 3-4 आतंकी साथियों को भी ले आया था। मूसा भी पहलगाम हमले का आरोपी है। भारत में घुसने के बाद आदिल और उसके आतंकी साथी अंडरग्राउंड हो गये। उन लोगों ने घने जंगलों और और पहड़ों को अपना पनाहगार बना लिया। इन इलाकों में वह छुप-छपाकर रहने लगा। वह पूरी तरह सायलेंट मोड में था और ऐसी वारदात को अंजाम देने की तैयारी कर रहा था, जिससे देश-दुनिया हिल जाये।
त्राल के पहाड़ों के रास्ते पहुंचा अनंतनाग
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आदिल को कुछ दिनों पहले किश्तवाड़ में देखा गया था। इसके बाद उसने अनंतनाग में अपना ठिकाना बना लिया और इंतजार करने लगा उस पल का जब वह अपने नापाक मंसूबे को अंजाम दे सके। आदिल त्राल की पहाड़ियों के रास्ते अनंतनाग तक पहुंचा था।
अनंतनाग में कर रहा हमला करने के सही वक्त का इंतजार
अनंतनाग में भी आदिल अहमद ठोकर काफी दिनों तक सायलेंट मोड में रहा। फिर वह वक्त आ गया जब बैसरन घाटी में पर्यटकों का आना-जाना शुरू हो गया। इलाके में भीड़-भाड़ जुटता देख आदिल ने हमले की पूरी प्लानिंग कर डाली। बीते 22 अप्रैल को दिन के करीब डेढ़ बजे आदिल अपने आतंकी साथियों के साथ अचनाक जंगल से निकला। वह और उसके साथी हाइटेक हथियारों से लैस थे। उनलोगों ने पर्यटकों को धर लिया।
नाम और धर्म पूछकर मार दी गोली
वहां मौजूद कुछ पर्यटकों के अनुसार इन आतंकियों ने लोगों से पहले उनका नाम और धर्म पूछा। इसके बाद कलमा पढ़ने को कहा। इसके बाद पर्यटकों को गोली मार दी। कई लोगों को सिर में सटाकर गोली मारी गयी। हंसती और खिलखिलाती वादियों में गोलियों की तड़तड़ाहट गूंजने लगी। लोगों की चीख-चित्कार से पूरा इलाका दहल उठा। वहीं, गोली बरसाते हुए आतंकी ठहाके लगा रहे थे। कायर आतंकवादी खून की नदियां बहाने के बाद घने जंगलों में भाग निकले। इस हमले में 26 बेकसूर लोग मारे गये। बैसरन घाटी की धरती बेगुनाहों के लहू से लाल हो चुकी थी। हर तरह लाशें बिछि थी और लाशों के पास रोते-बिलखते, चीखते-चिल्लाते उनके परिजन। मरने वालों में भारतीय नौसेना और आईबी के दो अफसर भी शामिल हैं।
इधर, हमले के बाद जम्मू कश्मीर पुलिस ने आधिकारिक तौर पर आदिल को पहलगाम हमले में शामिल तीन मुख्य संदिग्धों में से एक बताया है। अन्य दो की पहचान पाकिस्तानी नागरिक हाशिम मूसा उर्फ सुलेमान और अली भाई उर्फ तलहा भाई के तौर पर की गयी है। तीनों के स्केच जारी किया गया है। साथ ही उनके बारे में सटीक इंफॉर्मेशन देने वाले को 20 लाख रुपये बतौर इनाम देने का भी ऐलान किया गया है। फोर्स इन आतंकवादियों की तलाश में सर्च ऑपरेशन चला रही है।
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