एक माह उच्च के रहेंगे सूर्य नारायण

जब सूर्य भगवान एक राशि से निकलकर कर दूसरे राशि में प्रवेश करते हैं तो उसे संक्रांति कहते हैं।
14 अप्रैल दिन शुक्रवार को भगवान सूर्य मीन राशि से निकलकर मेष राशि मे प्रवेश करेंगे। इसलिए इस तिथि को मेष संक्रांति कहा जा रहा है। इस दिन विशुवा पर्व और सत्तुवान पर्व मनाया जाता है। इस दिन से लेकर पूरे एक महीने तक बाबा बैद्यनाथ को सत्तू और गुड़ का भोग लगाया जाता है।
ऋषिकेश पञ्चाङ्ग के अनुसार 14 अप्रैल को शाम 04:55 बजे भगवान सूर्य मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करेंगे। यह दिन गंगा स्नान, पूजा पाठ, दान-पुण्य के लिए शुभ दिन माना गया है। दान पुण्य का कार्य दिन में ही संपन्न करना शुभ होता है।
पूर्वजों के नाम घट दान कर तृप्त करने की परंपरा:
मेष संक्रांति के दिन श्रद्धालु पूजन करने के साथ अपने पूर्वजों के नाम से घट दान करते हैं। मेष संक्रांति के दिन पितृदान 2000 वर्षों के दान के बराबर होता है।
यह दान तीर्थपुरोहितों को दिया जाना चाहिए। इसमें पानी से भरा हुआ मिट्टी का घड़ा, छाता, चपल, सत्तू, आम का टीकोला, ताड़ के पत्ते से बना पंखा आदि का दान किया जाता है। इस दान से पितरों को तृप्ति मिलती है।

मेष संक्रांति का शुभ मुहूर्त :
मेष संक्रांति दिन के 04: 55 में प्रवेश कर रहा है।

इसका पुण्यकाल दिन के 01: 04 मिनेट से आरम्भ हो रहा है। जो सूर्यास्त तक रहेगा।

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