रांची : आचार्यकुलम महाबीर नगर अरगोड़ा में सप्ताह शिवमहापुराण कथा के छठे दिन आचार्य प्रणव मिश्रा ने शिव पूजन महत्व और लाभ का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि शिव शंकर बाबा बहुत ही ज्यादा दयालु और जल्द प्रसन्न होने वाले देवताओं में हैं। ये बस श्रद्धा के साथ पुष्प और बेलपत्र से की प्रसन्न हो जाते हैं और अमोघ वरदान प्रदान करते हैं। श्रावण मास में शिव को बहुत ही कम समय और आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है। भगवान को जल्द प्रसन्न करने के लिए पशुपति व्रत का महत्व बहुत ही ज्यादा है।
क्यों किया जाता है पशुपति व्रत
आचार्य प्रणव मिश्रा ने बताया कि पशुपति व्रत व्यक्ति के जीवन में सभी समस्याओं को दूर करने और उसकी मनोकामनाओं को पूरा करने वाला माना जाता है। यह व्रत वे व्यक्ति कर सकते हैं जो किसी भारी बोझ से जूझ रहे हों या अपने वैवाहिक जीवन में कठिनाइयों का सामना कर रहे हों। सबसे ज्यादा फल उन लोगों को मिलता हैं जिन्हें सन्ताम नहीं हो। यदि इस व्रत को पूरे निष्ठा से किया जाय तो इसका लाभ मिलना तय है। इस व्रत का पालन काफी सरल है, और इसे करने के लिए किसी शुभ मुहूर्त या किसी विशेष दिन की आवश्यकता नहीं होती है। इसमें भगवन शिव की पूजा की जाती है।
पांच सोमवार तक करें पशुपति का व्रत
उन्होंने कहा कि पशुपति का व्रत लगातार पांच सोमवार तक करना चाहिए और उद्यापन के बाद ही इसे बंद करना चाहिए। पशुपति व्रत का पालन करने में पहला कदम पूजा करना है। सोमवार के दिन सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर पूजा की थाली और कलश लेकर मंदिर जाएं। थाली में चावल, लाल चंदन, फूल, प्रसाद, बेलपत्र और पंचामृत जरूर रखें। इन वस्तुओं को चढ़ाने के बाद आप कलश के जल से भोलेनाथ का अभिषेक कर सकते हैं।
ऐसे करें भोलेनाथ की पूजा
उन्होंने बताया कि अभिषेक के बाद दीपक जलाएं, भोग लगाएं और भोलेनाथ की आरती करें। आप पूजा के बाद अपने सुबह के भोजन में फल और मिठाई का सेवन कर सकते हैं। शाम को वही थाली मंदिर ले जाएं, साथ में छह दीपक और घर से खाने के लिए कुछ मीठा भी ले जाएं। मंदिर में घर का बना भोग लगाते हुए छह में से पांच दीपक जलाएं। दो तिहाई भोग मंदिर में चढ़ाये और एक तिहाई घर में वापस लाये। पूजा करते समय भोलेनाथ से अपनी मनोकामना व्यक्त करें और उनका आशीर्वाद मांगें। घर में प्रवेश करने से पहले दरवाजे पर दीपक जलाएं और भोलेनाथ का स्मरण करें। इसके बाद ही घर में प्रवेश करना चाहिए।
ये है पशुपति व्रत के नियम और तरीके
आचार्य ने बताया कि भगवान शिव के पशुपति व्रत के अपने अनोखे नियम और तरीके हैं जिनका भक्तों को पालन करना चाहिए। इस लोकप्रिय उपवास को शुरू करने से पहले इन दिशानिर्देशों को समझना आवश्यक है। भक्तों को ब्रह्म मुहूर्त के दौरान उठने और स्नान करने के साथ-साथ साफ कपड़े पहनने के महत्व को याद रखना चाहिए। इस व्रत के महत्वपूर्ण नियमों में से एक भगवान शिव को पांच दीपक जलाना है, जिन्हें इस प्रथा के कारण पंचानंद भी कहा जाता है। इसके अलावा, इस व्रत को पांच सोमवार रखने की प्रथा है, जिसके दौरान भक्तों को मंदिर में जाकर भगवान शिव की पूजा और अभिषेक करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मन और मुख दोनों से ‘श्री शिवाय नमस्तुभयम‘ का निरंतर जप करने की सलाह दी जाती है। यदि भक्तों को लगता है कि शिवलिंग के आसपास के क्षेत्र को साफ करने की आवश्यकता है, तो उन्हें पूजा के लिए सभी सामग्री, बेलपत्र और जल चढ़ाने से पहले सफाई करनी चाहिए। भोलेनाथ को चढ़ाने के लिए थाली में रोली, चावल, फूल, फल, बेलपत्र और प्रसाद जैसी चीजें लाने की सलाह दी जाती है।