रांची। मैनहर्ट घोटाला मामले में गुरुवार को एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) के एसपी झारखंड हाई कोर्ट में पेश हुए। इस मामले में अब तक प्रारंभिक जांच रिपोर्ट नहीं आने एवं एफआईआर दर्ज नहीं होने को लेकर विधायक सरयू राय की ओर से दायर याचिका पर आज सुनवाई हुई। एसीबी के एसपी ने जस्टिस एसके द्विवेदी की कोर्ट में प्रारंभिक जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की। कोर्ट ने एसीबी के एसपी को चार सप्ताह में प्रारंभिक जांच के संबंध में शपथ पत्र प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
सुनवाई के दौरान एसीबी एसपी ने कोर्ट को बताया कि मैनहर्ट को टेंडर देने के संदर्भ में मंत्रिपरिषद से अप्रूवल मिला था, ऐसे में प्रारंभिक जांच की कार्रवाई आगे जारी रखने या ना रखने के संबंध में विधि विभाग से मंतव्य मांगा गया है। गुरुवार को जस्टिस एसके द्विवेदी की कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई तीन अक्टूबर निर्धारित की। राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता मनोज कुमार एवं दीपांकर ने पैरवी की। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता एके कश्यप ने पैरवी की।
कोर्ट ने पिछली सुनवाई में राज्य सरकार द्वारा अस्पष्ट सीलबंद रिपोर्ट दाखिल करने पर एसीबी के एसपी को कोर्ट में उपस्थित होने का निर्देश दिया था। पूर्व की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया था कि दिसंबर, 2020 में इस मामले को लेकर एसीबी ने पीई दर्ज की थी, लेकिन अब तक इसकी रिपोर्ट नहीं आई है। इस पर कोर्ट ने मामले में राज्य सरकार को शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया था। इस बारे में राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र दाखिल कर बताया गया कि मामले में अभी जांच चल रही है। एसीबी की ओर से बताया गया कि इस मामले की जांच जारी रखने के संबंध में राज्य सरकार से लीगल ओपिनियन मांगी गई है।
इस पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि लीगल ओपिनियन मांगे जाने का मामला सरकार के पास एक साल से अधिक समय तक लंबित है। अगस्त, 2022 में ही एसीबी ने सरकार से लीगल ओपिनियन मांगी थी, लेकिन अब तक उस पर कुछ नहीं हुआ है। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से मैनहर्ट मामले में सीलबंद रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत की गई थी, लेकिन रिपोर्ट अस्पष्ट थी।