अजमेर :  1993 के सीरियल बम ब्लास्ट के मामले में आज बड़ा फैसला आया है. मिली जानकारी के मुताबिक 1993 में 5 शहरों में हुए सीरियल बम ब्लास्ट केस में आरोपी सैयद अब्दुल करीम टुंडा को अजमेर की टाडा कोर्ट ने गुरुवार को बरी कर दिया. जबकि, दो आतंकवादियों इरफान और हमीदुद्दीन को कोर्ट ने दोषी करार दिया है. बता दें कि यह मामला वर्ष 2014 से विचाराधीन था. इस मामले में टुंडा सहित करीब 17 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था. अजमेर की टाडा कोर्ट ने 29 फरवरी दिन गुरुवार को कुख्यात आरोपी सैयद अब्दुल करीम टुंडा को 1993 के सीरियल बम ब्लास्ट मामले में बरी कर दिया. टुंडा के खिलाफ शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन में हुए बम धमाके का मामला 2014 से विचाराधीन था.

क्या थी घटना

यह घटना 6 दिसंबर 1993 को राजधानी एक्सप्रेस ट्रेन में हुई थी. आतंकियों ने ट्रेन में सीरियल बम ब्लास्ट किया था. इस घटना को बाबरी मस्जिद विध्वंस की पहली बरसी का बदला करार दिया. इस केस में 17 आरोपी पकड़ में आए. इनमें से 3 (टुंडा, हमीदुद्दीन, इरफान अहमद) पर गुरुवार को फैसला सुनाया गया. बता दें कि हमीदुद्दीन को 10 जनवरी 2010, इरफान अहमद को 2010 के बाद और टुंडा को 10 जनवरी 2014 को नेपाल बॉर्डर से गिरफतार किया गया था.

बाबरी मस्जिद विध्वंस की पहली बरसी पर ट्रेन में हुए सीरियल बम ब्लास्ट के इस मामले में सभी जांच एजेंसियों ने जांच की. सीबीआई के जांच अधिकारी ने डॉ. मोहम्मद जलीस अंसारी सहित करीब 17 आरोपियों को गिरफ्तार कर आरोप पत्र पेश किया था. इस मामले में सुनवाई के दौरान आरोपी अंसारी का साथी इमरान अंतरिम जमानत पर रिहा हुआ और फिर फरार हो गया. इमरान की फरारी के बाद उसे छोड़ शेष के खिलाफ अलग से सुनवाई हुई. वहीं वारदात में आरोपी सैयद अब्दुल करीम उर्फ टुंडा और हमीदुद्दीन उर्फ हमीद पर मामला दर्ज हुआ और उसके बाद वो भी फरार हो गया.

दस साल पहले गिरफ्तार हुआ था अब्दुल करीम टुंडा

अब्दुल करीम टुंडा सहित तीन के खिलाफ अजमेर की टाडा कोर्ट में फैसला सुनाया गया है. इस मामले में आरोपी हमीद उर्फ हमीमुद्दीन 10 जनवरी 2010 को गिरफ्तार हुआ था और सीबीआई ने उस समय चार्जशीट पेश कर दी थी. आरोपी इरफान अहमद को गिरफ्तार कर उसके खिलाफ भी सीबीआई ने पूरक चार्जशीट पेश की थी. मुख्य आरोपी यूपी के आजमगढ़ निवासी अब्दुल करीम टुंडा को दस साल पहले 10 जनवरी 2014 को गिरफ्तार किया गया. सीबीआई को कोर्ट में उसके खिलाफ पूरक चार्जशीट पेश करनी थी, लेकिन दस साल तक बगैर चार्जशीट के ही अब्दुल करीम टुंडा के खिलाफ टाडा कोर्ट में केस चला.

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