रांची : शादी के बाद छोटी छोटी बातों को लेकर पति पत्नी में अक्सर मनमुटाव की बातें होती हैं. कुछ मामले तो कोर्ट तक पहुंच जाते हैं जिसमें पति से अलग रहने वाली पत्नी पति से गुजारा भत्ता लेने की चाह में कोर्ट में केस तक करती हैं. ऐसे ही एक मामले में झारखंड हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है. जिसमें हाई कोर्ट ने कहा है कि पत्नी अगर बिना किसी ठोस वजह के पति से अलग अलग रहते हुए रह रही है और गुजर भत्ता लेने का दावा करती है तो वह महिला मेंटेनेंस की हकदार नहीं है.
दरअसल, हाई कोर्ट ने रांची फैमिली कोर्ट के उस फैसले को कैंसिल कर दिया है जिसमें पति द्वारा पत्नी को गुजारा भत्ता देने की बात थी. उस फैसले में अमित कुमार कच्छप नामक व्यक्ति को आदेश दिया गया था कि अपनी पत्नी संगीता टोप्पो को जीवन निर्वाह के लिए 15 हजार रुपये भत्ता दे. हाईकोर्ट के जस्टिस सुभाष चन्द्र की कोर्ट ने मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि अगर पत्नी पति से बिना ठोस वजह के साथ नहीं रहती है, तो वह भरण पोषण मांगने की हकदार नहीं होगी. उसे अपना जीवन निर्वाह स्वयं करना होगा.
झारखंड उच्च न्यायालय ने दोनों पक्षों द्वारा रखे गए साक्ष्य के आधार पर यह फैसला दिया है. हाई कोर्ट ने पाया कि प्रतिवादी अमित कच्छप की पत्नी संगीता टोप्पो बिना किसी ठोस कारण से अलग रह रही है. सबूतों के आधार पर कोर्ट ने पाया कि संगीता टोप्पो अपने ससुराल में ज्यादा दिन नहीं रही और वापस चली आई है उसके बाद पुनः ससुराल नहीं गई. उसके बाद रांची फैमिली कोर्ट में जाकर पति अमित कुमार के खिलाफ दहेज़ उत्पीडन का केस दायर की.
पिटीशन में संगीता ने यह आरोप लगाया था कि साल 2014 में आदिवासी रीति -रिवाज से अमित कच्छप से शादी हुई थी. ससुराल गई तो उससे कार, फ्रिज, एलइडी टीवी के साथ दहेज़ की रकम मांगे जाने लगा.पति अमित शराब के नशे में दुर्वव्हार करते हैं. अमित का एक महिला के साथ अनैतिक संबंध भी हैं. तमाम तरह के आरोप बनाकर संगीता ने रांची के फैमिली कोर्ट में प्रति माह 50 हजार भत्ता का दावा ठोका था. फैमिली कोर्ट ने संगीता के दावा को सही ठहराते हुए अमित कच्छप को आदेश दिया था कि 30 अक्टूबर 2017 से अपनी पत्नी संगीता को प्रति माह 15 हजार रुपये भत्ता के रूप में दे.
इस फैसले के खिलाफ अमित कच्छप झारखंड हाईकोर्ट में क्रिमिनल रिवीजन पिटीशन दिया. उसका कहना था कि शादी के बाद संगीता एक सप्ताह जमशेदपुर उनके घर में रही. इसके बाद परिजनों के सेवा करने के लिए रांची चली गई. संगीता ने कहा था कि वह 15 दिनों में वापस ससुराल चली आयेगी, लेकिन बार -बार अनुरोध करने पर वह वापस नहीं लौटी. तमाम सबूतों और साक्ष्यों के आधार पर हाईकोर्ट ने यह निष्कर्ष निकाला कि संगीता अपनी वैवाहिक जिम्मेवारियों को ठीक से निभाया नहीं है, इसलिए वह गुजारा भत्ते की हकदार नहीं है. जिसके बाद रांची फैमली कोर्ट का फैसला को कैंसिल कर दिया.
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