Joharlive Desk

कैमूर। चुनाव आते ही सड़कों पर राजनेताओं की चहलकदमी बढ़ जाती है। नेता अपने आलीशान घरों से बाहर निकल कड़ी धूप में सड़कों पर उतरते हैं और फिर धूल मिट्टी भरे गांवों में नादान ग्रामीणों के बीच जाकर विकास के दावें गढ़ते हैं और आश्वासन दिलाते हैं। भोले-भाले ग्रामीणों को हम आपकी सेवा के लिए हैं, आप लोगों के लिए हैं।

हम आपका विकास करेंगे, लेकिन आप हमें वोट दीजिए. अपना जनप्रतिनिधि बनाएं और उसके बाद होता है क्या? होता यह है कि जिसे आप चुनते हैं, जिसे आप वोट देते हैं वो आपको अगले 5 सालों के लिए भूल जाते हैं. ऐसा हम नहीं कह रहें है, ये कहानी बयां कर रहा है कैमूर जिले का ये गांव।

कैमूर जिले का ये एक ऐसा गांव है जहां लोगों को अपने मत के प्रयोग के लिए 20 किलोमीटर का जंगली इलाका पार करने के बाद पहाड़ से करीब एक हजार फीट नीचे उतरना पड़ता है।दरअसल, आजादी के इतने साल बाद भी इस गांव में सड़क नहीं बन सकी है।

आपको बता दें की धौरा प्रखंड में सौ से अधिक ऐसे गांव हैं जो पहाड़ी पर एक हजार फीट ऊपर बसा है। इसी प्रखंड का इकलौता गांव विनोबानगर है जो पहाड़ी के तलहटी में बसा है। लेकिन इस गांव का पंचायत बड़वानकला पहाड़ी के उपर बसा हुआ है। यह इलाका पहले नक्सल प्रभावित इलाका था। जहां आज लगभग पंद्रह सौ वोटर हैं।

पंचायत के सभी गांव एक हजार फीट उंचे पहाड़ी के उपर है और सिर्फ एक गांव विनोबानगर पहाड़ी के नीचे तलहटी में बसा है।

बता दें कि भले ही गांव में सरकार ने विकास किया हो या नहीं लेकिन अपनी वोटों की चिंता करते हुए प्रशासन ने बड़वान कला के ग्रामीणों को मत का प्रयोग करने के लिये दो बूथ पहाड़ के नीचे तलहटी में बसे विनोबानगर गांव में कर दिया गया है।

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