Ranchi : रांची के जाने माने चिकित्सक डॉ. एचपी नारायण ने कहा कि भारतीय नववर्ष पूर्णतः वैज्ञानिक और व्यावहारिक है। हमें अपनी संस्कृति को नहीं भूलना चाहिए। भारतीय संस्कृति में ज्ञान पर कभी कोई शुल्क या कॉपीराइट नहीं था। यह अवधारणा बाद में विदेशी सभ्यताओं के साथ आई, जब कॉपीराइट जैसे नियम लागू हुए। मौका था भारतीय नववर्ष मिलन समारोह का। समारोह राजधानी रांची के IMA हॉल में NMA यानी नेशनल मेडिकोज ऑर्गेनाइजेशन रिम्स की ओर से आयोजित किया गया था। इस समारोह में शहर के कई दिग्गज डॉक्टरों ने शिरकत की।
मौके पर मौजूद डॉ सतीश मिढा ने NMO के विभिन्न कार्यकलापों के बारे में जानकारी दी। डॉ मिढ़ा ने कहा कि हम पश्चिमी सभ्यता के नववर्ष को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं, लेकिन अपने नववर्ष को उसी स्तर पर नहीं मनाते। इसलिए भविष्य में भी इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए।
इससे पहले कार्यक्रम की शुरुआत में रिम्स के स्टूडेंट्स ने अतिथियों का स्वागत नृत्य और गीत के जरिये किया। साथ ही डॉक्टरों के छोटे बच्चों ने भी श्लोक, गाने और डांस से सभी का मन मोहा। करुणा अनाथालय के बच्चों द्वारा प्रस्तुत गीत वंदना इस कार्यक्रम का प्रमुख आकर्षण रहा। करुणा एनएमओ रांची की मुख्य परियोजना है, जो अनाथ और बेसहारा बच्चों के लिए आश्रय का काम करती है। चैत्र नवरात्रि के अवसर पर इस कार्यक्रम में फलाहार और सात्विक आहार की भी व्यवस्था की गई थी। यह कार्यक्रम भारतीय संस्कृति और परंपराओं को मनाने का एक सुंदर प्रयास था, जिसमें सभी ने मिलकर नववर्ष का स्वागत किया।
इस कार्यक्रम में एनएमओ रांची के संरक्षक डॉ एचपी नारायण, डॉ उषा रानी, पूर्व एनएमओ राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ सतीश मिढ़ा, झारखंड के पूर्व अध्यक्ष डॉ अरविंद कुमार, रांची जिला अध्यक्ष डॉ शंभूनाथ सिंह, झारखंड के उपाध्यक्ष प्रो डॉ पवन कुमार, डॉ ओमप्रकाश, डॉ विक्रांत रंजन, डॉ रंजन देव, डॉ धर्मवीर सिंह, डॉ आकांक्षा चौधरी, डॉ अमर गुप्ता समेत कार्यकारिणी के पदाधिकारी मौजूद रहे।
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