वॉशिंगटन: दुनियाभर में फैले कोरोना वायरस की सबसे ज्यादा मार अमेरिका पर ही पड़ी है. इस वायरस से बचने के लिए एकमात्र उपाय है कोरोना का टीका. ऐसे में भारत-अमेरिका समेत तमाम देश तेजी से वैक्सीनेशन प्रोग्राम चला रहे हैं. कई तरीकों से लोगों को वैक्सीनेशन के लिए जागरूक किया जा रहा है. फिर भी ज्यादातर लोग वैक्सीन नहीं लगवाना चाहते. अमेरिका के शीर्ष संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. एंथनी फाउची ने कहा है कि कोरोना वायरस से हाल ही में हुई मौतों में 99.2 फीसदी ऐसे लोग थे, जिन्होंने वैक्सीन नहीं लगवाई थी. डॉ एंथनी फाउची ने कहा कि यह बेहद दुखद है. क्योंकि इनमें से कई मौतों को हम टाल सकते थे.
डॉ. एंथनी फाउची ने एनबीसी के ‘मीट द प्रेस’ से बात करते हुए कहा कि यह बेहद निराशाजनक है कि युवा वैक्सीनेशन के लिए आगे नहीं आ रहे. उन्होंने कहा कि हमारा सबसे भयानक दुश्मन कोरोना है. हमारे पास उसका बचाव भी मौजूद है जो कि बेहद असरदार है. इसीलिए ये मौतें और ज्यादा दुखद हैं. उन्होंने सवाल किया कि क्यों टीकाकरण को पूरे देश में लागू नहीं किया जा रहा? कुछ अमेरिकियों द्वारा वैक्सीन के विरोध के बारे में फाउची ने कहा कि कुछ लोग वैचारिक कारणों से वैक्सीन के खिलाफ हैं तो कुछ सिर्फ विज्ञान-विरोधी हैं.
मतभेद दूर करने की अपील
डॉ. फाउची ने कहा कि देश के पास संक्रमण से बचने के लिए इलाज मौजूद है. उन्होंने कहा कि वो लोगों से सभी मतभेदों को दूर करने के लिए कहेंगे और सभी को बताएंगे कि सभी का सबसे बड़ा दुश्मन ये वायरस है. फाउची ने अमेरिका को भाग्यशाली बताया क्योंकि उसके पास पर्याप्त टीके हैं.
मौत और वैक्सीनेशन- दोनों में अमेरिका आगे
दुनिया के कई देश वैक्सीन की उपलब्धता की कमी का सामना कर रहे हैं और वैक्सीन पाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं. अमेरिका कोरोना से सबसे बुरी तरह प्रभावित देश है, जहां वायरस के चलते 605,000 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं.
हालांकि वैक्सीनेशन के मामले में भी अमेरिकी कई देशों से आगे है. अब तक 33 करोड़ लोगों को वैक्सीन डोज दी जा चुकी है और 15 करोड़ लोग टीके की दोनों खुराकें लगवा चुके हैं.