जोहार लाइव डेस्क : पिछले नौ साल में 95 फीसदी राजनीतिक दल जांच की आंच में आ गए. जहां तक झारखंड की बात है तो झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भी ईडी ने अपने लपेटे में ले लिया है. अवैध खनन मामले में ईडी उनसे एक बार पूछताछ कर चुकी है, अब रांची में हुए जमीन घोटाला मामले में भी ईडी सीएम को तीन बार समन भेज चुकी है. सीएमं की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. बता दें, इन दोनों मामलों में झारखंड की कई नामचीन हस्तियां भी ईडी और सीबीआई के फेर में फंसी हुई है कई तो इस समय जेल में अपना समय बिता रहे हैं. इन नामचीन हस्तियों में निलंबित आईएएस पूजा सिंघल, निलंबित आईएएस छवि रंजन, प्रेम प्रकाश, पंकज मिश्रा, विजय राम, साहिबगंज डीसी रामनिवास यादव, इनके अलावा और भी कई चर्चित चेहरों पर ईडी और सीबीआई कार्रवाई कर रही है.
जांच एजेंसियों के फेर में राज्यों के नेता तो हैं ही, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, लालू प्रसाद यादव, मायावती, अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, के. कविता, हेमंत सोरेन और न जाने कितने नाम हैं, जो जांच एजेंसियों के दरवाजे का चक्कर काट चुके हैं, या काट रहे हैं. इनमें से कौन फंसेगा और कौन बचेगा, कुछ नहीं कहा जा सकता. पार्टियों की बात करें तो कांग्रेस, टीएमसी, आप, पीडीपी, आरजेडी, जेडीयू, डीएमके, बीआरएस, शिवसेना उद्धव, शरद पवार की राकांपा, सपा, बसपा, नेशनल कांफ्रेंस, कई नाम गिनाये जा सकते हैं, जो एनडीए का हिस्सा नहीं हैं और जांच एजेंसियों ने उनके कथित भ्रष्टाचार को अपनी जांच का हिस्सा बना रखा है. इन सभी पार्टियों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर भी सवाल किया है कि उनके खिलाफ जांच एजेंसियों का दुरुपयोग क्यों किया जा रहा है.
रिर्पोट के अनुसार जांच एजेंसियों के घेरे में कांग्रेस के 24 नेता थे. डीएमके, बीजू जनता दल के 6-6, समाजवादी पार्टी, बसपा के 5-5, आप, वाईएसआरसीपी3, आईएनएलडी के 3-3, सीपीएम, पीडीपी के 2-2 और टीआरस, एआईएडीएमके, एमएनएस के एक-एक नेताओं के खिलाफ जांच एजेंसियों की जांच जारी थी. अब तो इस लिस्ट में कुछ नये नाम भी जुड़ चुके हैं.आंकड़ों के ही हिसाब से पिछले 18 सालों में ईडी ने 147 प्रमुख राजनेताओं की जांच की है. एनडीए राज में सीबीआई के घेरे में आये नेताओं में 95% विपक्ष के नेता हैं, वहीं, यूपीए के दौर में 60% नेता विपक्ष के थे. कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए के 10 वर्षों यानी 2004-2014 के दौरान कम से कम 72 नेता सीबीआई जांच के दायरे में आए हैं और उनमें से 43 यानी 60 प्रतिशत नेता विपक्ष से थे. वहीं पिछले 9 सालों में जिन नेताओं पर जांच बैठाई गयी इनमें 95 प्रतिशत से ज्यादा विपक्षी नेताओं पर ईडी और सीबीआई का शिंकजा कसा. जम्मू कश्मीर के नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी जांच का सामना कर रहे हैं. पीडीपी अध्यतक्ष महबूबा मुफ्ती से भी धनशोधन के मामले में ईडी पूछताछ कर चुकी है. यूपी के चर्चित नेताओं में पूर्व सीएम अखिलेश यादव का नाम माइनिंग घोटाले में आया था. यह मामला सीबीआई के पास है. मायावती शासन के दौरान उत्तर प्रदेश में 21 चीनी मिलों के कथित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के मामले हैं. पिछले साल मार्च में ईडी ने बसपा के पूर्व एमएलसी मोहम्मद इकबाल और उनके परिवार की सम्पत्ति को कुर्क किया था. 2020 में ईडी ने सपा नेता आजम खान के खिलाफ मामला दर्ज किया था. आजम खान पर अली जौहर ट्रस्ट धन के कथित हस्तांतरण का मामला दर्ज है पंजाब के पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी अवैध रेत खनन मामले में ईडी पूछताछ कर चुकी है.
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