देवघर। साइबर थाना की पुलिस ने देवीपुर, मधुपुर और सारवां थाना क्षेत्र में छापेमारी कर 9 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है। इस संबंध में बुधवार के दिन आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में साइबर डीएसपी सुमित प्रसाद ने पूरे मामले की जानकारी दी। साइबर डीएसपी ने बताया कि साइबर थाना की पुलिस ने देवीपुर थाना क्षेत्र के कपसा, मधुपुर थाना क्षेत्र के लखनुवा और सारवां थाना क्षेत्र के खरकना गांव में छापेमारी कर 9 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने इनके पास 14 मोबाइल फोन और 18 सिम कार्ड बरामद किया है। गिरफ्तार साइबर अपराधियों में 24 वर्षीय परशुराम दास, 19 वर्षीय राहुल दास, 30 वर्षीय ओमप्रकाश दास, 22 वर्षीय बीरबल दास, 22 वर्षीय शेखर दास, 19 वर्षीय नीरज दास, 23 वर्षीय सागर दास, 30 वर्षीय बाबुमनी दास और 41 वर्षीय अजीम अंसारी का नाम शामिल है।
साइबर डीएसपी ने बताया कि गिरफ्तार साइबर अपराधियों द्वारा फ्लिपकार्ट के वाउचर से उपहार कूपन का झांसा देकर ठगी की वारदात को अंजाम दिया जा रहा था। साइबर अपराधी आम लोगों को वाउचर के नाम पर कहीं भी शापिंग करने का लालच देते थे। इसके बाद पिन डालते ही कूपन मिलने की जगह राशि साइबर ठगों के खाता में चली जाती है। ठगी की रकम द्वारा साइबर अपराधी आनलाइन शापिंग करने में इस्तेमाल करते हैं। इसका मुख्य रूप से त्योहार के समय या फिर ऐसे समय इस्तेमाल किया जाता है जब एमेजान, फ्लिपकार्ट पर सेल लगा होता है और लोग बड़े पैमाने पर शापिंग करते हैं। ज्यादा शापिंग करने से उन्हें लगता है कि उन्हें कंपनी की ओर से उपहार कूपन मिला है और फिर वे ठगी का शिकार हो जाते हैं।
इसके अलावे साइबर डीएसपी ने जानकारी दी कि गिरफ्तार साइबर अपराधियों द्वारा साइबर ठगी की घटना को अंजाम देने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जाते थे। साइबर अपराधी फोन पे कस्टमर अधिकारी बनकर ठगी करते हैं। इसके साथ ही ड्रीम इलेवन, रम्मी और तीन पत्ती गेम के माध्यम से ठगी करते हैं। इसके साथ साइबर अपराधी गूगल सर्च इंजन का कस्टमर केयर अधिकारी बनकर लोगों को लॉटरी का प्रलोभन देकर पैसों की ठगी करते थे। साथ ही ये साइबर अपराधी फर्जी बैंक अधिकारी बनकर लोगों को फोन करते हैं और उन्हें बताते हैं कि उनका एटीएम बंद होने वाला है। इसके अलावा केवाइसी अपडेट कराने के नाम पर भी ठगी की जाती है। इन अपराधियों द्वारा साइबर ठगी के लिए गूगल पे का भी सहारा लिया जाता था। साथ ही साइबर अपराधियों द्वारा वर्चुअल पेमेंट एड्रेस के माध्यम से भी ठगी की जाती थी।