रांची: छठी जेपीएससी में सुप्रीम कोर्ट ने 326 चयनित छात्रों को बहाल रखा और हाई कोर्ट के द्वारा दिए गए फैसले को गलत करार दिया. झारखंड हाई कोर्ट के इस फैसले में 62 चयनित अभ्यर्थी बाहर हो रहे थे. छठी जेपीएससी रिवाइज्ड रिजल्ट को चुनौती देने वाली याचिका पर 28 जुलाई को सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई पूरी हो गई थी. अदालत ने आदेश सुरक्षित रख लिया था. उसकी समय से सभी पक्षों को फैसले का इंतजार था.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस सीटी रवि कुमार की खंडपीठ में मामले पर सुनवाई हुई थी. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता शुभाशीष सोरेन ने अदालत में दलील देते हुए कहा कि पेपर वन का अंक जोड़ा जाना सही है लेकिन, यह मुख्य परीक्षा से ही जोड़ा जाना चाहिए, ताकि सभी अभ्यर्थियों को एक समान साक्षात्कार में मौका दिया जा सके. इसलिए उन्होंने सुप्रीम अदालत से यह गुहार लगाई कि फिर से साक्षात्कार लेने का आदेश दिया जाए. उन्होंने कहा था कि राज्य सरकार या जेपीएससी ने किसी भी तरह की सर्कुलर में कोई बदलाव नहीं किया है. जिस पर अदालत ने उन्हें लिखित जवाब पेश करने को कहा था.
रिजल्ट में बाहर किए गए अभ्यर्थियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल एवं वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस पटवालिया ने पक्ष रखा. मौके पर वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस पटवालिया ने पक्ष रखते हुए जेपीएससी के द्वारा रिवाइज्ड रिजल्ट के मार्किंग पैटर्न को सही बताया है. वहीं वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अदालत को बताया कि जेपीएससी ने कई बार अपना स्टैंड बदला है इसलिए पेपर 1 का अंक फाइनल मेरिट लिस्ट में नहीं जुड़ सकता इसके लिए कई बाध्यताएं हैं. इसके साथ ही उन्होंने पूरी प्रक्रिया को रद्द करने की मांग की थी.
इस मामले में नौकरी कर रहे वैसे अभ्यार्थी जो रिवाइज्ड रिजल्ट में बाहर हो रहे थे. उनकी ओर से अदालत में रिवाइज रिजल्ट का विरोध कर कहा गया कि यह उचित नहीं है. रिवाइज्ड रिजल्ट निकाला जाना ही गलत है. जेपीएससी बार-बार अपना स्टैंड बदल रहा है. बगैर नोटिफिकेशन के रिजल्ट चेंज कैसे किया जा सकता है. अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था.