Uttarakhand : उत्तराखंड के चमोली में हुई बर्फीली तबाही के तीन दिन बाद भी, कुछ मजदूर कई फुट बर्फ के नीचे दबे हुए हैं। मिली जानकारी के अनुसार रविवार सुबह खोजी कुत्तों और हेलीकॉप्टरों की मदद से इन मजदूरों की तलाश के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया है। हालांकि अब यह जानकारी सामने आई है कि जिन चार मजदूरों की तलाश की जा रही थी उनमें से दो के शव बरामद किए गए हैं जबकि 2 अन्य अब भी लापता हैं। बदरीनाथ के पास माणा गांव में शुक्रवार को एवलांच आने से करीब 54 मजदूर बर्फ के नीचे दब गए थे। एक अन्य मजदूर पहले ही घर जाचुका था जिसकी वजह से वह एवलांच की चपेट में आने से बच गया।
बता दें कि शनिवार तक कुल 50 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला गया जिनमें से चार ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। वहीं आज अन्य दो लोगों के शव बरामद होने के बाद मरने वालों की संख्या कुल 6 हो गई है, वहीं अन्य दो की तलाश जारी है।
वायुसेना का बचाव कार्य जारी
भारतीय वायु सेना के Mi-17, चीता हेलीकॉप्टर बचाव कार्यों के लिए तैनात किए गए हैं। भारतीय वायु सेना के अधिकारियों के अनुसार, एक Mi-17 हेलीकॉप्टर रविवार को उत्तराखंड के चमोली जिले में हिमस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में खोज अभियान के लिए ड्रोन-आधारित इंटेलिजेंट बरीड ऑब्जेक्ट डिटेक्शन सिस्टम को एयरलिफ्ट करने के लिए तैयार है। वहीं जोशीमठ में डीएम चमोली संदीप तिवारी ने कहा की बचाव कार्य आज सुबह 7 बजे शुरू हो गया था। आज का मौसम साफ है। सेना और वायुसेना के 7 हेलिकॉप्टर बचाव अभियान में लगे हुए हैं। हमने खोज और बचाव अभियान के लिए माणा में थर्मल इमेजिंग कैमरा, NDRF के स्निफर डॉग को भेजा है। लापता लोग जल्द ही हमें मिल जाएंगे।
उधर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र पहुंचकर माणा में जारी बचाव कार्यों का जायजा लिया और अधिकारियों को हिमस्खलन से प्रभावित बिजली, संचार तथा अन्य सुविधाओं को जल्द से जल्द सुचारू करने के निर्देश दिए। चमोली के जिलाधिकारी डॉ. संदीप तिवारी ने बताया कि मौसम साफ है और फंसे मजदूरों को निकाले जाने के लिए राहत एवं बचाव अभियान सुबह फिर शुरू हो गया।
उन्होंने बताया कि लापता मजदूरों की खोजबीन के लिए दिल्ली से ‘जीपीआर सिस्टम’ भी आने वाला है। जिलाधिकारी ने कहा कि ‘ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार’ (जीपीआर) को मौके पर पहुंचाने के लिए सेना का हेलीकॉप्टर ‘एमआई 17’ देहरादून में इंतजार कर रहा है । उन्होंने आशा व्यक्त की कि इससे तलाशी अभियान में तेजी आएगी और लापता लोग आज खोज लिए जाएंगे। करीब 3,200 मीटर की उंचाई पर भारत-चीन सीमा पर स्थित आखिरी गांव माणा में शुक्रवार को हिमस्खलन होने से बीआरओ शिविर में आठ कंटेनर में रह रहे सीमा सड़क संगठन के 54 मजूदर बर्फ में फंस गए थे। मजदूरों की संख्या पहले 55 बतायी जा रही थी लेकिन एक मजदूर के हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा स्थित अपने घर सुरक्षित पहुंच जाने की सूचना मिलने के बाद यह संख्या 54 रह गयी है ।
तिवारी ने बताया कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ) भी खोजी कुत्तों के साथ हिमस्खलन स्थल पर हैं और बचाव अभियान में सहयोग कर रहे हैं । उन्होंने बताया कि हादसे में घायल लोगों को हेलीकॉप्टर के जरिए माणा से वापस लाने का कार्य शुरू हो गया है । मध्य कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता और उत्तर भारत के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल डी.जी. मिश्रा भी बचाव अभियान की निगरानी करने के लिए हिमस्खलन स्थल पर पहुंच गए हैं।
तलाशी एवं बचाव अभियान में भारतीय सेना की ‘एविएशन कोर’ के तीन हेलीकॉप्टर, भारतीय वायु सेना के दो और सेना द्वारा किराए पर लिए गए एक सिविल हेलीकाप्टर सहित छह हेलीकाप्टर जुटे हुए हैं ।
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