नई दिल्ली. 5जी तकनीक को लेकर कोर्ट में याचिका दाखिला करने वाली जूही चावला और अन्य याचिकाकर्ता एक बार फिर कोर्ट पहुंचे हैं और इस बार कोर्ट द्वारा उन पर लगाए 20 लाख रुपये के जुमाने का मामला है. दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को जूही चावला और अन्य के व्यवहार को स्तब्ध करने वाला बताया. कोर्ट फीस की वापसी और 20 लाख रुपये के जुर्माने के खिलाफ दायर की गई याचिका पर जस्टिस जे आर मिड्ढा ने कहा, “कोर्ट ने बेहद उदार रवैया अपनाते हुए जूही चावला पर कोर्ट की अवमानना का मामला नहीं दायर किया. अन्यथा केस बनता था. मैं याचिकाकर्ताओं का व्यवहार देखकर स्तब्ध हूं.”
बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट ने चार जून को 5जी वायरलेस नेटवर्क तकनीक को चुनौती देने वाली अभिनेत्री जूही चावला की याचिका को शुक्रवार को खारिज कर दिया और उन पर तथा सह याचिकाकर्ताओं पर 20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया. कोर्ट ने कहा कि याचिका ‘‘दोषपूर्ण’’, ‘‘कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग’’ और ‘‘प्रचार पाने के लिए’’ दायर की गई थी. जूही चावला और सह याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए सीनियर वकील मीत मल्होत्रा ने बुधवार को कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता दायर याचिका पर जोर नहीं देते हैं. ऐसे में कोर्ट ने जूही और अन्य की ओर से दायर याचिकाओं को वापस लेने की इजाजत दे दी.
जस्टिस मिड्ढा ने कहा कि कोर्ट आज अवमानना का नोटिस जारी करने को तैयार थी. उन्होंने कहा, “आप कह रहे हैं कि कोर्ट के पास जुर्माना लगाने की ताकत नहीं है.” चावला के वकील ने कोर्ट को बताया कि वे सात दिनों के भीतर जुर्माना राशि जमा कर देंगे या अन्य विकल्पों पर विचार करेंगे. कोर्ट ने कहा कि एक तरफ तो याचिकाकर्ता अपनी याचिका को वापस ले रहे हैं और दूसरी ओर जुर्माना राशि जमा करने को भी सहर्ष तैयार नहीं हैं. बेंच ने कहा, “मैंने अपनी न्यायिक जिंदगी में ऐसे वादी नहीं देखे, जो कोर्ट फीस भी नहीं देना चाहते हों.”
बता दें कि जूही चावला की 5जी तकनीक को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस मिड्ढा ने कहा था कि वादियों- चावला और दो अन्य ने कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग और कोर्ट का समय बर्बाद किया है. जस्टिस ने कहा कि इस वाद में 5जी तकनीक के कारण स्वास्थ्य संबंधी खतरों के बारे में जो सवाल उठाए गए हैं, वे ‘‘विचारणीय नहीं है’’ और वाद में ‘‘अनावश्यक, निंदनीय और निरर्थक कथन दिये गये हैं.’’
कोर्ट ने कहा कि मुकदमा प्रचार पाने के लिए दायर किया गया था, जो स्पष्ट है, क्योंकि चावला ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर सुनवाई के वीडियो कॉन्फ्रेंस लिंक को प्रसारित किया, जिसके परिणामस्वरूप अज्ञात व्यक्तियों द्वारा बार-बार व्यवधान उत्पन्न किया गया. कोर्ट ने अज्ञात लोगों के खिलाफ अवमानना नोटिस भी जारी किया और दिल्ली पुलिस से उनकी पहचान करने को कहा.
मामले में दो जून को हुई सुनवाई के दौरान उस समय रूकावट पैदा हो गई थी, जब एक व्यक्ति चावला की पुरानी फिल्मों के गीत गाने लगा था. ऑनलाइन सुनवाई के दौरान न्यायाधीश के निर्देश पर इस शख्स को हटाए जाने के बावजूद वह दोबारा शामिल होकर बीच-बीच में जूही चावला की फिल्मों के गीत गाने लगा.
आदेश सुनाए जाने के बाद चावला के वकील ने फैसले पर रोक लगाने का अनुरोध किया, जिसे कोर्ट ने सिरे से खारिज कर दिया.
अभिनेत्री और अन्य की ओर से पेश अधिवक्ता दीपक खोंसला ने जुर्माना लगाये जाने पर सवाल उठाया और दलील दी कि यह बिना किसी कानूनी आधार के था. हालांकि, न्यायमूर्ति ने कहा, ‘‘बहुत खेद है. खारिज किया जाता है. बात खत्म हो गई है. एक वकील के लिए आदेश पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा. एक वकील के रूप में आपको अपनी सीमाएं पता होनी चाहिए.’’
कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं चावला, सामाजिक कार्यकर्ता वीरेश मलिक और टीना वचानी एक सप्ताह के भीतर दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जुर्माना जमा करायें. कोर्ट ने कहा कि अज्ञात व्यक्तियों द्वारा कार्यवाही में तीन बार व्यवधान डाला गया और उनके खिलाफ अवमानना नोटिस जारी करने का निर्देश दिया और दिल्ली पुलिस को उनकी पहचान करने और कार्रवाई करने तथा उसके समक्ष अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया है.
कोर्ट ने यह भी पूछा था कि वाद में 33 पक्षों को क्यों जोड़ा गया और कहा कि कानून के तहत इसकी अनुमति नहीं है. कोर्ट ने विभिन्न पक्षों की दलीलें सुनने के बाद वाद पर दो जून को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. याचिकाकर्ताओं ने याचिका दायर कर कहा था कि यदि दूरसंचार उद्योग की 5जी संबंधी योजनाएं पूरी होती हैं तो पृथ्वी पर कोई भी व्यक्ति, कोई जानवर, कोई पक्षी, कोई कीट और कोई भी पौधा इसके प्रतिकूल प्रभाव से नहीं बच सकेगा.
याचिका में दावा किया गया था कि इन 5जी वायरलेस प्रौद्योगिकी योजनाओं से मनुष्यों पर गंभीर, अपरिवर्तनीय प्रभाव और पृथ्वी के सभी पारिस्थितिक तंत्रों को स्थायी नुकसान पहुंचने का खतरा है. दूरसंचार विभाग ने कहा था कि 5जी नीति स्पष्ट रूप से कानून में निषिद्ध नहीं है. निजी दूरसंचार कंपनियों की ओर से पेश अधिवक्ता ने कहा कि 5जी तकनीक सरकार की नीति है और चूंकि यह एक नीति है, इसलिए यह गलत कार्य नहीं हो सकता.