Joharlive Desk
नई दिल्ली। कोविड -19 के कारण लागू लॉकडाउन ने पांच भारतीय शहरों चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद, कोलकाता और मुंबई में खतरनाक वायु प्रदूषकों को करीब 54 प्रतिशत तक कम कर दिया है। इससे एक भारतीय मूल के शोधकर्ता के नेतृत्व वाली ब्रिटेन के वैज्ञानिकों की टीम ने पाया है कि वायु में प्रदूषकों के घटने से 630 लोग समय से पहले मौत का निवाला बनने से बच गए हैं। भारत में मार्च 2020 के अंत से लागू लॉकडाउन व सामाजिक आइसोलेशन से करीब 130 करोड़ आबादी की जिंदगी प्रभावित हुई है।
ब्रिटेन में सरे विश्वविद्यालय में प्रोफेसर व शोधकर्ता प्रशांत कुमार ने कहा, “कोविड -19 का दुनिया भर के अरबों लोगों के जीवन और आजीविका पर विनाशकारी प्रभाव पड़ा है।”
कुमार ने आगे कहा, “वहीं इस दुखद वैश्विक घटना ने हमें उन मानव गतिविधियों के प्रभाव की मात्रा को निर्धारित करने का मौका दिया है, जिसने हमारे पर्यावरण पर और विशेष रूप से हमारी वायु गुणवत्ता को प्रभावित किया है।”
सस्टेनेबल सिटीज एंड सोसाइटी जर्नल में प्रकाशित शोध में टीम ने लॉकडाउन की शुरुआत से पांच भारतीय शहरों में वाहनों और अन्य गैर-वाहन स्रोतों से उत्पन्न हानिकारक महीन कण पदार्थ (पीएम2.5) के स्तरों का अध्ययन किया। शोध में उन्होंने 11 मई, 2020 तक की अवधि पर गौर किया।
टीम ने पीएम 2.5 के वितरण का विश्लेषण किया।
वहीं शोध टीम ने अपने काम में इन लॉकडाउन वायु प्रदूषण के आंकड़ों की तुलना पिछले पांच वर्षों की समान अवधि से की।
अंत में परिणामों से पता चला कि लॉकडाउन ने सभी पांच शहरों में हानिकारक कणों की संख्या को कम कर दिया, जिसमें मुंबई में 10 प्रतिशत तक की कमी देखी गई और दिल्ली में 54 प्रतिशत तक की कमी हुई।