रिनपास नियुक्ति और प्रोन्नति घोटाले में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री हेमलाल मुर्मू से एसीबी की टीम पूछताछ कर रही है। पूर्व स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र प्रसाद व हेमलाल मुर्मू, रिनपास के एक्स डायरेक्टर डॉ अमूल रंजन व डॉ अशोक कुमार नाग और पूर्व स्वास्थ्य सचिव बीके त्रिपाठी पर एसीबी ने शिकंजा कसा था। रिनपास नियुक्ति घोटाले में इन पांचों के अलावा दस और लोगों के खिलाफ एसीबी ने एसीबी थाने में मामला दर्ज कराया था। एसीबी कोर्ट द्वारा 27 अगस्त को दिए गए आदेश के बाद इन सभी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है। एसीबी ने एफआईआर की सूचना कोर्ट को दे दी थी।

2015 से चल रही जांच
रिनपास के डायरेक्टर पद पर डॉ अमूल रंजन की अवैध तरीके से हुई बहाली व वित्तीय अनियमितता की जांच एसीबी की टीम पिछले साल दो फरवरी से ही जांच कर रही है। इस मामले में हेमंत सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे राजेंद्र प्रसाद सिंह, स्वास्थ्य सचिव बीके त्रिपाठी, रिनपास निदेशक डॉ अमूल रंजन के खिलाफ प्राइमरी इंक्वायरी (पीई) दर्ज कर एसीबी ने छानबीन शुरू की। जांच में गड़बडि़यां सही मिलने पर एफआईआर दर्ज करने की कार्रवाई की गई।


ऐसे डायरेक्टर बने थे डॉ अमूल रंजन
2010 में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री हेमलाल मुर्मू ने डॉ अमूल रंजन को रिनपास का एक्टिंग डायरेक्टर बनाए जाने की अनुमति दी थी। 2013 में एजी केआपत्ति के बाद उन्हें पद से हटाकर डॉ। अशोक कुमार नाग को डायरेक्टर बनाया गया, लेकिन महज सात- आठ महीने में उन्हें भी पद छोड़ना पड़ गया। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव बीके त्रिपाठी की अनुशंसा व तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र प्रसाद सिंह की सहमति से डॉ अमूल रंजन को 2014 में रिनपास का फिर से एक्टिंग डायरेक्टर बना दिया गया।

अदालत पहुंचा नियुक्ति घोटाला मामला
पूर्व स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र सिंह, पूर्व स्वास्थ्य सचिव बीके त्रिपाठी और रिनपास के डायरेक्टर रहे डॉ अमोल रंजन के खिलाफ निगरानी की अदालत में उत्तम कुमार ने शिकायत दर्ज कराई थी। पिटीशनर ने अदालत को बताया कि विजिलेंस में शिकायत के बाद भी इनके खिलाफ केस नहीं दर्ज की जा रही है। उन्होंने तीनों के खिलाफ वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाया था। अदालत ने इन तीनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था।

उपकरणों की खरीदारी में हुई थी गड़बड़ी
रिनपास में उपकरणों की खरीदारी में भी अनियमितता का मामला सामने आया था। इस मामले में सीएम सचिवालय के आदेश को भी दरकिनार कर दिया गया था। ऐसे में निगरानी जांच की मांग उठी थी, लेकिन तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री व स्वास्थ्य सचिव ने निगरानी जांच कराने से इंकार कर दिया था। उन्होंने सीएम को बताया था कि पूरे मामले की जांच कर ली गई है और किसी तरह की गड़बड़ी नहीं पाई गई।

इनके खिलाफ हुई एफआईआर


– राजेंद्र सिंह, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री
– हेमलाल मुर्मू, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री
– बीके त्रिपाठी , पूर्व स्वास्थ्य सचिव
– डॉ। अमूल रंजन, पूर्व निदेशक,रिनपास
– डॉ अशोक कुमार नाग, पूर्व निदेशक,रिनपास
– डॉ मनीषा किरण, असिस्टेंट प्रोफेसर, रिनपास
– डॉ मसरूर जहां, असिस्टेंट प्रोफेसर, रिनपास
– डॉ कप्तान सिंग सेंगर, असिस्टेंट प्रोफेसर, रिनपास
– डॉ पवन कुमार सिंह, असिस्टेंट प्रोफेसर, रिनपास
– डॉ बलराम प्रसाद, असिस्टेंट प्रोफेसर, रिनपास
– अनिल कुमार साहू, स्टाफ, रिनपास
– दिवाकर सिंह, स्टाफ, रिनपास
– रंजन कुमार दास, स्टाफ , रिनपास
– सुरेंद्र कुमार रोहिला, नर्स, रिनपास

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