रांची : झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा 20 जनवरी दिन शनिवार को जमीन घोटाला मामले में पूछताछ की गई. 7 घंटे पूछताछ करने के बाद ED की टीम बाहर निकली जिसके बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी सीएम आवास से बाहर निकल झामुमो कार्यकर्त्ताओं से मिले. इस दौरान सुरक्षा के मद्देनजर CRPF के 500 जवान की टुकड़ी भी सीएम आवास पहुंची. CRPF की मौजूदगी को लेकर अब सियासत शुरू हो गई है. सीएमओ ने इस मामले को गंभीरता से लिया है. सीएमओ ने इस मामले को लेकर गृह विभाग और पुलिस मुख्यालय से पूरी जानकारी मांगी है.
सीएमओ की ओर से गृह विभाग और पुलिस मुख्यालय से पूछा गया है कि कैसे सीआरपीएफ के जवान प्रतिबंधित इलाके में आ गए. इनके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है. गौरतलब है कि शनिवार को जब ईडी के अधिकारी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से उनके कांके रोड स्थित सरकारी आवास में पूछताछ कर रहे थे, उस दौरान कई बसों में भरकर सीआरपीएफ के जवान आए थे. उनका वहां मौजूद झारखंड मुक्ति मोर्चा के समर्थकों ने विरोध किया. कुछ देर के बाद सीआरपीएफ के जवान लौट गए. झामुमो ने प्रेस बयान जारी कर दावा किया है कि सीआरपीएफ के जवान मुख्यमंत्री आवास में जाना चाहते थे और उनकी मंशा कुछ और थी.
मामले को लेकर बीजेपी-झामुमो आमने सामने
बता दें कि CRPF मामले को लेकर शनिवार को जेएमएम महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने प्रेस वार्त्ता के दौरान एक बड़ा बयान भी दिया. उन्होनें कहा कि, ‘ मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करने की साजिश थी, रांची एयरपोर्ट में एक एयरक्राफ्ट पार्क था, सीआरपीएफ के जरिए रांची को डिस्टर्ब करने की तैयारी थी, राष्ट्रपति शासन करने की प्लॉट तैयार की गई थी. राज्यपाल का सीएम को लिखा पत्र इसका उदाहरण है’. उन्होनें आगे कहा कि, ‘जेएमएम ने मुख्यमंत्री से सीआरपीएफ के आईजी की भूमिका की जांच की मांग की है. इन पर राज्य सरकार करवाई करे नहीं तो जेएमएम सड़क पर उतर आंदोलन करेगा. आखिर सीआरपीएफ कैसे सीएम आवास तक पहुंचा, जबकि रांची में धारा 144 लागू था. सुप्रियो ने कहा कि जिला प्रशासन ने ऐसा कोई आदेश दिया नही था.’ इस मामले को लेकर जेएमएम ने शनिवार को हुए पूरे घटनाक्रम को लेकर सीआरपीएफ पर आरोप लगाते हुए पत्र भी जारी किया. जिसमें उपरोक्त बातों का जिक्र है.
इधर, बीजेपी ने भी इस मामले को लेकर झामुमो पर पलटवार किया. बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि CRPF का दुरुपयोग कर सीएम की पूछताछ के दौरान राज्य में जानबूझ कर अराजक स्थिति पैदा करने की कोशिश की गई. बीते शनिवार को ऐसा प्रतीत हो रहा था कि ध्यान बंटाने के लिए सारी मर्यादाएं तोड़ी जा रही हैं. उन्होंने कहा कि ED की पूछताछ के दौरान झामुमो का शीर्ष नेतृत्व अपने कार्यकर्ताओं से हिंसा तक करवा देगा. धारा 144 लगी होने के बावजूद झामुमो के 10 हजार कार्यकर्त्ता हथियार लेकर सीएम हाउस के पास पहुंच गए. इन कार्यकर्त्ताओं के जरिए क्या देश की न्यायिक व्यवस्था, न्यायाधीशों, केंद्रीय एजेंसी या देश के संविधान को डराने की कोशिश थी. भय का माहौल तो राज्य सरकार पैदा कर रही थी.