नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. इस चुनाव में देशभर के मतदाताओं को वोट डालने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेने का अवसर मिलेगा. हाल के सालों में महिलाएं और युवा किसी चुनाव को दिशा देने में सबसे अहम फैक्टर रहे हैं. खासकर महिलाओं को अपने पाले में करने के सभी दलों ने लिए कई दांव खेले हैं. हाल के चुनावों में महिला मतदाताओं की भागीदारी तेजी से बढ़ी है. बात की जाए लोकसभा चुनाव 2024 की तो 47.10 करोड़ महिला मतदाता वोट देने के लिए पात्र होंगी.
आंकड़ों से पता चलता है कि 2019 की तुलना में, इस बार कम से कम पांच राज्यों में 18-19 साल की उम्र के ज्यादा मतदाता हैं. ये पांच राज्य हैं- दिल्ली, बिहार, कर्नाटक, उत्तराखंड और आंध्र प्रदेश.
महिलाओं के लिए वादे
सत्ताधारी दल बीजेपी जहां मुफ्त राशन योजना, महिला आरक्षण, उज्ज्वला समेत कई योजनाओं के दम पर महिलाओं को अपने पाले में करने की कोशिश कर रही है. वहीं कांग्रेस और अन्य दल महिला वोटरों को हर महीने पैसे देने की योजना का वादा कर रहे हैं. इसके अलावा कुछ राज्यों में सस्ते सिलेंडर देने का वादा भी किया जा रहा है
बढ़ रही हैं महिला वोटरों की संख्या
बीते तीन लोकसभा चुनावों में महिला वोटरों की संख्या बढ़ी है. साल 2009 में 45.8 प्रतिशत महिला वोटर थीं. वहीं यह साल 2014 में यह प्रतिशत बढ़कर 47.2 हो गया. साल 2019 में महिला वोटरों का प्रतिशत 48.2 था.
सीटों पर असर
साल 2009 के चुनावों में 85 सीटें ऐसी थीं जहां महिला वोटर पुरुषों से अधिक थीं. 2019 में ऐसी सीटों की संख्या 110 थी.
वोट देने में बढ़ा दबदबा
2009 में 64 सीटों पर पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के वोट ज्यादा पड़े थे
बढ़ी भागीदारी
भारत के निर्वाचन आयोग के मुताबिक देश के 12 राज्यों में पुरुष मतदाताओं की तुलना में महिला मतदाताओं की संख्या अधिक है.