नई दिल्लीः अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) अब देश के विभिन्न हिस्सों में खुल रहे हैं और मरीजों को उनके घर के आसपास ही बेहतर मेडिकल ट्रीटमेंट मिल रहा है। इन सबके बीच एम्स से डॉक्टरों का इस्तीफा बड़ा मुद्दा बनकर सामने आ रहा है। पिछले 3 वर्षों में देश के 20 एम्स से कुल 422 डॉक्टर इस्तीफा दे चुके हैं। इनमें दिल्ली से 25, भोपाल से 27, भुवनेश्वर से 37, जोधपुर से 35, रायपुर से 37, नागपुर से 27 डॉक्टरों ने इस्तीफा दिया है।

क्या सिस्टम है परेशानी की वजह
दिल्ली मेडिकल काउंसिल के प्रेजिडेंट डॉ. अरुण गुप्ता का कहना है कि एम्स से अच्छे टैलेंट का जाना ठीक नहीं है। दिल्ली जैसे संस्थान से भी डॉक्टर जा रहे हैं तो इसके सही कारण सरकार को खोजने होंगे। हो सकता है कि सिस्टम को लेकर डॉक्टरों में कुछ परेशानी हो या उन्हें पर्याप्त मौके नहीं मिल रहे हों। उनका कहना है कि एम्स में डॉक्टर और स्टाफ की सैलरी बहुत अच्छी है, लेकिन जो नए एम्स बन रहे हैं, वहां पर वर्किंग कंडिशन को बेहतर बनाना होगा। एक कारण यह हो सकता है कि डॉक्टरों पर जरूरत से ज्यादा बोझ हो और वे वर्किंग कंडिशन से खुश नहीं हों। डॉ. गुप्ता ने कहा कि एक बात तो माननी होगी कि अभी सारे एम्स बराबर नहीं है और जो नए एम्स खुल रहे हैं, उनमें से कई दिल्ली एम्स के स्टैंडर्ड के नहीं हैं। एम्स दिल्ली की जहां तक बात है तो बहुत से डॉक्टर रिटायरमेंट से कुछ पहले संस्थान छोड़कर दूसरी जगह प्रैक्टिस करने चले जाते हैं।

देश के 20 एम्स में डॉक्टरों के स्वीकृत पदों की संख्या 5767 है, जिसमें से करीब 64 पर्सेंट यानी 3653 डॉक्टर हैं और 36 पर्सेंट पद खाली है। हालांकि मंत्रालय का कहना है कि इन पदों को जल्द से जल्द भरने की प्रक्रिया भी चल रही है। दिल्ली एम्स को देखें तो यहां पर डॉक्टरों के 1232 पद हैं, जिसमें से 816 भरे हुए हैं। नए एम्स में कल्याणी में 259 में से 156 पद भरे हैं। रायबरेली में 201 में से 106 पद भरे हैं। एम्स बठिंडा में 209 में से 142 पद भरे हैं।

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