JoharLive Team

गिरिडीहः ओमान की राजधानी मस्कट में झारखंड के साथ-साथ केरल और तमिलनाडु के कई मजदूर फंस गए हैं। जिनमें से तीस मजदूर झारखंड के हैं। सभी ओमान में राेजगार की तलाश में पहुंचे थे। बता दें कि अधिकतर मजदूर झारखंड के गिरिडीह, हजारीबाग, बोकारो और कोडरमा जिले के निवासी हैं। इन मजदूरों ने सोशल मीडिया के माध्यम से वतन वापसी की गुहार सरकार से लगायी है। इधर मजदूरों के परिजन भी परेशान हैं।
प्रवासी मजदूरों के लिए काम करनेवाले सिकंदर अली ने बताया कि फंसे हुए मजदूर साल 2017 में ही टावर लाइन में काम करने के लिए ओमान गए थे। मजदूरों को एक नामी कंपनी में काम दिलाने की बात कह ओमान भेजा गया था. इधर जिस वीडियो को मजदूरों ने सोशल मीडिया में डाला है उसमें मजदूर अपनी व्यथा बता रहे हैं। मजदूरों का कहना है कि उन्हें सात महीने से वेतन नहीं मिला है।
वहीं, परिजनों का कहना है उनके घरवालों को ओमान में एक वक्त का ही भोजन मिल रहा है. वे वतन वापस आना चाह रहे हैं, लेकिन वीजा की मियाद खत्म होने के अलावा पास में पैसे नहीं होने के कारण वे वहां फंस गए हैं। मजदूरों ने विदेश मंत्री के नाम भी संदेश भेजा है. जिसमें उन्होंने बताया है कि वे लोग जिस कंपनी में काम कर रहे हैं, उस कंपनी ने महीनों से वेतन बंद कर दिया है। वेतन मांगने पर कई तरह की धमकियां दी जाती है।
गिरिडीह के मजदूरों की संख्या सबसे अधिक है. फंसने वाले अधिकांश मजदूर गिरिडीह जिले के बगोदर, हजारीबाग जिले के बिष्णुगढ़ के रहने वाले हैं। इनमें बगोदर के महुरी के राजू पासवान, खुबलाल पासवान, विजय कुमार महतो, योगेंद्र कुमार, बेको के देवी लाल महतो, संतोष महतो, आलम कुमार महतो, चंद्रिका महतो, टेकलाल महतो, औरा के महेश कुमार महतो, राजेश कुमार, मुंडरो सोहन लाल महतो, प्रदीप महतो, हेमलाल महतो तुकतुको निर्मल महतो, सोहन महतो डुमरडेली के डुमरचंद महतो, कोसी के गोविंद महतो बिष्णुगढ के उदयपुर के राजेश प्रसाद महतो, जगदीश महतो, कसुम्भा के रूपलाल महतो, महेश महतो, चिहूंटिया के विनोद कुमार, बलकमका के रामचंद्र महतो, भलुआ के दिलीप कुमार, भेलवरा के प्रेमचंद महतो करगालो के मनोज महतो व हुलास महतो ,बोकारो थर्मल के जगदीश महतो कोडरमा के महेंद्र सिंह शामिल हैं।

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