Joharlive Desk
नई दिल्ली। देश में प्रदूषण के खिलाफ चल रही जंग में मोदी सरकार ने उद्योगों की निगरानी तेज की है। पर्यावरण मंत्रालय ने प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों की 24 घंटे की निगरानी की खास व्यवस्था की है। इस सिलसिले में देश के 45 सौ उद्योगों की चिमनियों से निकलने वाले जहरीले धुएं से लेकर उनके वाटर डिस्चार्ज तक की जांच के लिए मशीनें लगाई गई हैं। जिससे केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) से लेकर पर्यावरण मंत्रालय तक सभी उद्योगों के प्रदूषण के बारे में पल-पल की खबर मिलने से एक्शन लेना आसान हुआ है।
दरअसल, देश में कुल 17 तरह की इंडस्ट्रीज सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाने के लिए बदनाम हैं। इनमें रिफाइनरी, सीमेंट, अल्युमीनियम, डिस्टलरी आदि सेक्टर से जुड़े उद्योग शामिल हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने देश में इन 17 तरह की इंडस्ट्रीज से जुड़ी साढ़े चार हजार प्रदूषणकारी इकाइयां चिन्हित की हैं। जहां ऑनलाइन कॉन्टीन्यूअस एमिशन मानीटरिंग सिस्टम(ओसेम्स) लगाया गया है। जिससे उद्योगों से होने वाले उत्सर्जन को लेकर अब राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से लेकर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण को रियलटाइम सूचनाएं मिल रही हैं। उद्योगों की चिमनियों से निकलने वाली खतरनाक गैसों के बारे में पूरी जानकारी इस सिस्टम से मिलती है।
मसलन, उद्योगों से कार्बन डाई आक्साइड, सल्फर डाई आक्साइड आदि खतरनाक गैसों की कितनी मात्रा निकल रही है, इसकी लगातार 24 घंटे की रिपोर्ट अब उपलब्ध रहती है। ऑनलाइन एमिशन मॉनीटरिंग सिस्टम उद्योगों की चिमनियों और वाटर डिस्चार्जिंग दोनों जगह लगता है। इन दोनों जगहों से प्रदूषण के सभी तत्वों की मॉनीटरिंग आसानी से होती है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मेंबर सेक्रेटरी डॉ. प्रशांत गार्गव ने आईएएनएस को बताया, “प्रदूषण को लेकर हर तरह के उद्योग के लिए अलग-अलग स्टैंडर्ड हैं। ऑनलाइन एमिशन मानीटरिंग सिस्टम लगने से उद्योगों से होने वाले उत्सर्जन की रियलटाइम जानकारी मिलती है। अगर उद्योग मानक का उल्लंघन करते मिलते हैं तो उन्हें सिस्टम अलर्ट करता है। प्रदूषण से जुड़ा अलर्ट मिलने के बाद भी उद्योंगों की ओर से सुधार की कोशिश न करने पर एक्शन होता है। ये मशीनें प्रदूषणकारी उद्योग इकाइयों को सेल्फ रेग्युलेशन के तहत खुद लगवानी होती हैं।”