कोडरमा : पिछले दिनों हुई मूसलाधार बारिश के कारण गोखाने नदी पर 20 साल पुराना बना पुल पानी के तेज़ बहाव में पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया. अब इस पुल से आवागमन तो पूरी तरह ठप है ही, दर्जनों गांवों के लिए मुश्किल खड़ी हो गई है. यह वही पुल है, जिसके क्षतिग्रस्त हो जाने के बाद पिछले तीन साल से बड़े वाहनों के आवागमन पर प्रशासन ने रोक लगा दी थी. लेकिन इतने अरसे में भी इस पुल का कोई जीर्णोद्धार नहीं किया गया बल्कि जोखिम के साथ अब तक इस पर वाहन चलते रहे और अब यह किसी काम का नहीं रहा.

यह पुल कांको पंचायत, बडकीधमराय होते हुए तिलैया डैम जाता है. स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि यह पुल तीन साल पहले ही बारिश में क्षतिग्रस्त हो गया था. दुर्घटनाओं की आशंका के चलते पुल के पास मिट्टी मुरम डालकर बड़े वाहनों पर रोक लगा दी गई थी. ग्रामीणों ने बताया कि पुल की साइड रेलिंग टूटकर बारिश में कब की बह चुकी है. लोगों का कहना है कि इस पुल की हालत के बारे में बरकट्ठा विधायक अमित कुमार यादव को बताया गया था, जिन्होंने आश्वासन दिया था. इस पुल से कितने गांव प्रभावित होंगे?

यह पुल कांको से तिलैया डैम जाने के लिए प्रमुख रास्ता है इसलिए इस पुल के टूटने से दर्जनों गांव के लोग प्रभावित हैं. इस पुल को पार कर के लोग तिलैया डैम पहुंचते हैं, उसके बाद वहां से बरकट्ठा, बरही व हजारीबाग के लिए जाते हैं लेकिन अब गरायडीह, गबनपुर, बाजपुर, मंझगावां, पिंडरो, जोलहकरमा, कांको, श्रृंगारडीह, गरहा समेत कई गांवों के लोगों के सामने आवागमन का संकट कितना बड़ा है, यह भी जानिए.

पुल टूटने से इन तमाम गांवों के लोगों को अब तिलैया डैम पहुंचने के लिए पिंडारो, बेलखरा, छोटकीधमराय, बडकीधमराय होते हुए जाना होगा. ग्रामीणों ने बताया कि पहले इस पुल से तिलैया डैम पहुंचने के लिए 5 किमी का रास्ता तय करना पड़ता था, लेकिन अब लंबे रूट से जाने में करीब 12 किमी की दूरी तय करनी होगी. जानिए इस पुल का निर्माण कब और कैसे हुआ था.

गौरतलब है कि दर्जनों गांवों को जोड़ने वाले इस पुल का निर्माण कार्य सुनिश्चित व सघन योजना के तहत वर्ष 1995-96 में 18 लाख की लागत से शुरू हुआ था, जो बाद में बंद हो गया. पुन: रिवाइज़्ड एस्टीमेट के तहत 12 लाख की लागत से इस कार्य को विभागीय किया गया, जिसमें कटअप वॉल व डेस्क स्लेप बनाया गया था. वर्ष 1999-2000 के बीच पुल तैयार हुआ था. जो करीब तीन साल पहले ही क्षतिग्रस्त हो चुका था. बता दें कि इसी साल यास तूफान के असर से हुई बारिश के चलते झारखंड में कांची नदी पर बना एक अहम पुल और टूट गया था.

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