हजारीबाग: जिले में बुधवार को दम घुटने से एक ही परिवार के 2 लोगों की मौत हो गई। 3 लोगों की हालत गंभीर बनी हुई है। बेहतर इलाज के लिए उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। बड़कागांव प्रखंड के डाड़ीकला पंचायत के उपरेली डाड़ी में यह हादसा हुआ है। ठंड से बचने के लिए परिवार मंगलवार की रात कोयले की अंगीठी जलाकर सो गया।
वेंटिलेशन न होने के कारण रात को कमरे में कार्बन मोनो ऑक्साइड गैस भर गई। इसमें 65 वर्षीय नेमन देवी पति स्वर्गीय कलहा महतो तथा 3 वर्षीय बेटी आदिती कुमारी की मौत हो गई। वहीं 50 वर्षीय रूपम देवी,20 वर्षीय बबीता कुमारी व 28 वर्षीय पूनम कुमारी की स्थिति गंभीर बनी हुई है। इसमें से 2 लोगों का इलाज हजारीबाग जनता सेवा सदन चल रहा है। पूनम कुमारी को रांची रेफर किया गया है। घटना के बाद से गांव में मातम पसर गया है।
10 दिन में दूसरी बड़ी घटना
हजारीबाग जिले में पिछले 10 दिनों के अंदर हुई यह दूसरी बड़ी घटना है। इससे पहले पेलावल OP थाना क्षेत्र के रोमी गांव में एक ही परिवार के 3 लोगों की दम घुटने से मौत हो गई। डॉक्टरों ने बताया, ‘कोयला जलाने से कार्बन मोनो ऑक्साइड निकलती है। यह गैस सांस की नली से अंदर जाने के बाद दिमाग में खून की सप्लाई रोक देती है।
इसके कारण ब्रेन हेमरेज हो सकता है। कई बार जान चली जाती है।ठंड के दिनों में अक्सर ऐसा देखा जाता है कि लोग अंगीठी जलाकर सो जाते हैं। ऐसे कमरे में जहां हवा निकलने के रास्ते न हों। वैसी स्थिति में यह काफी खतरनाक और जानलेवा साबित हो सकता है। ठंड से बचने के लिए आग जलाकर सोना ठीक नहीं है। चूल्हा जलाते समय घर की खिड़कियां, रौशनदान और दरवाजे खोल कर रखें। इससे कमरे में वेंटिलेशन बना रहेगा।’
कुछ ऐसे होता है इस गैस का असर
रांची RIMS के चिकित्सक डा. संजय सिंह के अनुसार, कार्बन मोनोऑक्साइड एक जहरीली गैस है। ऐसी किसी जगह पर जहां कोयला या लकड़ी जल रही हो और वेंटिलेशन का कोई माध्यम न हो तो सांस लेने के दौरान हम कार्बन मोनोऑक्साइड और ऑक्सीजन दोनों अंदर लेते हैं। कार्बन मोनोऑक्साइड हीमोग्लोबिन के साथ मिलकर कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन में बदल जाता है।
दरअसल, खून में मौजूद RBC, ऑक्सीजन की तुलना में कार्बन मोनोऑक्साइड से पहले जुड़ती है। अगर आप किसी ऐसी जगह पर हैं जहां ऑक्सीजन की तुलना में कार्बन मोनोऑक्साइड बहुत अधिक है तो धीरे-धीरे खून में ऑक्सीजन की जगह कार्बन मोनोऑक्साइड आ जाती है। इससे शरीर के कई अहम अंगों को ऑक्सीजन की सप्लाई कम हो जाती है। इससे हाईपोक्सिया की स्थिति बन जाती है, जिससे ऊतक (टिशू) नष्ट होने लगते हैं और मौत की आशंका बढ़ जाती है।