वाराणसी : दो दिनों में ही करीब ढाई लाख लोग व्यास तहखाने और उसमें स्थापित विग्रहों का झांकी दर्शन कर चुके हैं. श्रद्धालुओं की भीड़ लगातार बढ़ रही है. टूरिजम वेलफेयर असोसिएशन के अध्यक्ष राहुल मेहता का कहना है कि देशभर में व्यास तहखाने को लेकर उत्सुकता के चलते आने वाले दिनों में धार्मिक पर्यटन के लिए काशी आने वालों की संख्या तेजी से बढ़ना तय है.
मालूम हो कि स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर के मंदिर का अंश माना जाने वाला व्यास तहखाना पत्थर के महज आठ पुराने पिलरों पर टिका है. यह 31 फीट लंबा और 18 फीट चौड़ा है. लेकिन इन दिनों इसका आकर्षण करीब पांच लाख स्क्वॉयर फुट में बने भव्य काशी विश्वनाथ धाम से कहीं ज्यादा दिख रहा है.
ज्ञानवापी परिसर में स्थित व्यास तहखाने के आठ पिलर प्राचीन आदि विश्वेश्वर मंदिर के अहम साक्ष्य हैं. यहां की छत काफी जर्जर हो चुकी है. लंबे समय से बंद रहने से यहां नमी अधिक होने के कारण लगातार आठ हैलोजन लाइटें जलाई जा रही है. तहखाने के गेट से मूर्तियों तक लाल रंग का मैट बिछाया गया है. अखंड ज्योति जल रही और श्रीराम चरित मानस का पाठ चल रहा है.
व्यास तहखाने की पांच मूर्तियां लंबे समय तक मिट्टी व मलबे में दबी थीं, इसलिए उनकी छवि प्रभावित हुई है. तहखाने के प्रवेश द्वार से मूर्तियों के बीच करीब 25 फीट की दूरी है. ऐसे में द्वार से दर्शन करने आने वाले भक्तों को मूर्ति की आकृति स्पष्ट नहीं हो पा रही है. यह फीडबैक मिलने के बाद प्रशासन ने मूर्तियों के ऊपर उनकी तस्वीरें लगाने की तैयारी शुरू कर दी है.
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