रांची : झारखंड में हाल के वर्षों में नवजात शिशुओं की मृत्यु में लगातार गिरावट आई है. इसके बावजूद स्थिति चिंताजनक बनी हुई है. इसका खुलासा एसआरएस-2023 की रिपोर्ट में हुआ है. रिर्पोट के अनुसार] झारखंड में प्रतिवर्ष लगभग 17,500 नवजातों की मृत्यु हो जाती है. हालांकि, राज्य में शिशु स्वास्थ्य में बेहतर प्रयास से एक अनुमान के मुताबिक 2011 से अबतक 6000 नवजातों को बचाया जा सका है. राज्य में समय से पूर्व जन्म लेने वाले 35 फीसद नवजातों की मृत्यु हो जाती है, जबकि संक्रमण के कारण 31 फीसद तथा सांस लेने में परेशानी होने पर 20 फीसद नवजातों की मौत हो जाती है.
ऐसे बचाए जा सकते हैं नवजात
यूनिसेफ के अनुसार, ऐसे अधिसंख्य मौतों को रोका जा सकता है, यदि समय पर बीमारी के लक्षणों की पहचान कर ली जाए. जन्म के समय रेफरल और उचित देखभाल की सुविधा उपलब्ध हो. रिपोर्ट के अनुसार, जन्म के दौरान समुचित देखभाल से नवजात की मृत्यु में 41 फीसद तक कमी लाई जा सकती है. इसके अलावा, छोटे और बीमार नवजात की देखभाल और उपचार सुविधा उपलब्ध होने से 30 फीसद तथा सामुदायिक देखभाल से 25 से 30 फीसद मृत्यु को रोका जा सकता है. बताते चलें कि नवजात सप्ताह प्रत्येक वर्ष 15-21 नवंबर तक मनाया जाता है.