रांची : राजधानी से 14 किलोमीटर दूर झिरी में डंपिंग यार्ड कैंपस में गेल इंडिया गैस प्लांट लगा रही है. जहां पर गीले कचरे से बायोगैस बनाई जाएगी. इस प्लांट में हर दिन 150 मीट्रिक टन गीले कचरे की जरूरत होगी. इसके लिए रांची नगर निगम ने ट्रायल शुरू किया है. लेकिन तमाम कोशिश के बावजूद 50 टन गीला कचरा झिरी नहीं भेज पा रहे है. निगम के एक अधिकारी की मानें तो हर दिन 44 मीट्रिक टन गीला कचरा भेजने का प्रयास सफल हो पाया है. इसे बढ़ाने के लिए कदम उठाए जाएंगे. अब सवाल यह उठता है कि अगले महीने जब प्लांट चालू होगा तो नगर निगम इस टारगेट को कैसे पूरा करेगा. बता दें कि झिरी में 25-25 करोड़ की लागत से 150-150 टन के 2 प्लांट का निर्माण कराया जाना है. जिसमें एक प्लांट का निर्माण पूरा हो चुका है.
निगम के कर्मी ही मिक्स कर दे रहे कचरा
रांची नगर निगम लोगों से तो गीला और सूखा कचरा अलग रखने की अपील कर रहा है. और लोगों ने इसे अपनी आदत में शामिल भी कर लिया है. गीला-सूखा कचरा अलग डस्टबिन में रख रहे है. लेकिन कूड़ा कलेक्ट करने वाली गाड़ियों में घरों से एक साथ ही कूड़ा उठाव किया जा रहा है. निगम के कलेक्शन वाले कर्मी लोगों की मेहनत पर पानी फेर दे रहे है. ऐसे में मिनी ट्रांसफर स्टेशन तक मिक्स कचरा पहुंच रहा है.
5000 किलो गैस का प्रोडक्शन
झिरी में वेस्ट डिस्पोजल के लिए प्लांट का निर्माण गेल इंडिया ने किया है. पहले चरण में यहां गोबर का उपयोग किया जाएगा. यहां डंप किए गए कचरा से रोज 8 टन खाद बनेगा. 5000 किलो सीएनजी गैस बनेगी. स्वच्छ भारत मिशन के तहत 25 करोड़ की लागत से फेज-1 का यह प्लांट बनकर तैयार हुआ है. सर्वप्रथम सांकेतिक रूप से इसका संचालन किया जाएगा. इसके बाद यह प्लांट पूरी क्षमता के साथ काम करना शुरू कर देगा. गेल इंडिया द्वारा झिरी में बनाए गए इस बायोगैस को बेचने के लिए स्टेशन का भी निर्माण होना है. इसके लिए रांची नगर निगम ने गेल को सिटी के दो स्थानों पर स्टेशन खोलने की अनुमति दी है. जिसके लिए जगह भी निगम ही उपलब्ध कराएगा.
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