विवेक आर्यन

  • भाजपा के साथ विपक्ष की निगाहें भी चौथे चरण की सीटों पर।
  • 2014 के चुनाव में 15 में से 12 सीटें भाजपा के खाते में आई थी।

रांची : झारखंड विधानसभा चुनाव का चौथा चरण सबसे अहम है। 16 दिसंबर को 15 सीटों पर हो रहे चुनाव पर सभी पार्टियों के साथ आम लोगों की भी नजर टिकी है। झारखंड में अगले 5 साल की सरकार किसकी बनेगी यह इस बात पर निर्भर करता है कि चौथे चरण की 15 सीटों में से भाजपा को कितनी सीटें मिलेंगी। इसकी एक बड़ी वजह है कि 2014 के विधानसभा चुनाव में बहुमत पाने वाले भाजपा को इन्हीं 15 में से 12 सीटें मिली थी इसके अलावा जेवीएम प्रत्याशी अमर बाउरी चंदनकियारी से जीतकर भाजपा में शामिल हो गए थे। इस तरह 15 में से 13 सीटें भाजपा के पाले में गई थी, जिसके बलबूते भाजपा को 81 में से 37 सीटें मिली थी।
बता दे कि चौथे चरण की 15 सीटों पर कुल 221 प्रत्याशी खड़े हैं जिनमें 198 पुरुष और 23 महिलाएं हैं। ये 15 सीटें मधुपुर, देवघर, बगोदर, जमुआ, गांडेय, गिरिडीह, डुमरी, बोकारो, चंदनकीयारी, सिंदरी, निरसा, धनबाद, झरिया, टुंडी और बाघमारा हैं। इन सीटों पर चुनाव प्रचार शनिवार की शाम को थाम गया।

सभी पार्टियों ने झोंकी ताकत, स्टार प्रचारकों का हुजूम –
चौथे चरण की अहमियत को देखते हुए झारखंड की सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपनी ताकत झोंक दी है। एक तरफ जहां भाजपा अपनी पिछली पारी को दोहराने की कोशिश में लगी है, वहीं विपक्ष पूरी कोशिश कर रहा है कि भाजपा को पिछली बार जितनी सीटें नहीं आए। भाजपा की ओर से जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, स्मृति ईरानी, नितिन गडकरी आदि विभिन्न स्थानों पर प्रचार कर रहे हैं। वहीं कांग्रेस की ओर से ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट जैसे दिग्गज नेता भी शिरकत कर चुके हैं। इधर बाबूलाल मरांडी, सुदेश महतो और हेमंत सोरेन ने भी चौथे चरण के लिए अपनी सभाएं की है।

महागठबंधन से भाजपा को खतरा, आजसू भी साथ नहीं –
2014 के चुनाव में झामुमो वह कांग्रेस अलग-अलग लड़ी थी। वहीं आजसू भाजपा के साथ थी। लेकिन इस बार स्थितियां उलट है। इस वजह से भाजपा के लिए अपनी पिछली पारी दोहराना आसान नहीं होगा। महागठबंधन की ओर से पूरी कोशिश होगी कि भाजपा को पिछली बार जितनी सीटें नहीं आए। लेकिन स्टार प्रचारकों का असर पड़ सकता है। भाजपा कि भीतर का गणित भी इन्हीं 15 सीटों पर आधारित है। 15 में से 12 सीटें लाने पर भाजपा के लिए सरकार बनाने की राह आसान हो जाएगी।

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