किसलय शानू
रांची। झारखंड विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण की वोटिंग 30 नवंबर को होनी है। झारखंड में समूचा विपक्ष आदिवासी, महिला और अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर सरकार पर हमलावर रही है। वोटिंग ट्रेंड के लिहाज से आदिवासियों और अल्पसंख्यकों का भरोसा विपक्षी पार्टियों पर अधिक रहा है। यही वजह है कि संथाल से लेकर कोल्हान तक में झामुमो की पैठ रही है। लेकिन पहली बार ये वोट बैंक विपक्ष के हाथों सरकता दिखाई दे रहा है। यही वजह है कि महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के दावेदार हेमंत सोरेन अपने गढ़ में ही दो सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में जानना जरूरी होगा कि आखिर क्यों विपक्ष को यह डर सता रहा कि उनका वोट बैंक उनके हाथों से सरक सकता है।
यूं समझिये मामला
साल 2014 से 2019 तक पहली बार किसी सरकार ने अपना कार्यकाल पूरा किया है। झारखंड गठन के बाद 14 साल तक चले स्थिर सरकारों की दौर में आदिवासी, अल्पसंख्यक और महिलाओं के कल्याण के लिए जो काम हुए, उनकी तुलना बीते 5 सालों में हुए काम से की जाए तो 5 सालों का काम उससे पहले के 14 सालों पर भारी पड़ता है।
अब क्या क्या कहते हैं आंकड़े
आदिवासियों के लिए क्या हुआ
साल 2014 तक जनजातियों के लिए बजट 11997 करोड़ का था, जनजातियों के लिए बजट अब दोगुना से ज्यादा बढ़कर 20764 करोड रुपए का है। पहली बार आदिवासी बहुल गांव में आदिवासी ग्राम विकास समिति जबकि दूसरे गांव में ग्राम विकास समिति का गठन किया गया इस समिति को 5 लाख रुपये तक के विकास कार्य करने के अधिकार दिए गए। आदिवासियों के लिए 2014 तक महज 12943 वनाधिकार पट्टे निर्गत किए गए थे । बीते 5 सालों में 61970 लोगों को 1 लाख 4066 एकड़ भूमि का पट्टा दिया गया। ऐसे में विपक्ष का ये कहना कि आदिवासियों, वनवासियों से उनका हक छीन जा रहा गलत साबित हुआ है।
आदिम जनजाति परिवारों को मिल रहा अनाज
झारखंड में पहली बार आदिम जनजाति परिवारों को मुख्यमंत्री डाकिया योजना के तहत 35 किलो अनाज प्रतिमाह दिया जा रहा है। सरकार इस योजना के तहत 73386 परिवारों को घर जाकर योजना का लाभ दे रही है। झारखंड में साल 2014 तक 647 सरना, मसना व जोहार स्थलों की घेराबंदी की गई थी, यह संख्या बढ़कर 1597 हो चुकी है।आदिवासी व दलित युवाओं को यूपीएससी सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास करने पर 1 लाख की प्रोत्साहन राशि भी सरकार दे रही है। आदिवासियों के लिए प्रथम अनुसूची जनजाति आयोग का गठन किया गया संथाली ओलचिपी लिपि को मान्यता देकर इसे प्रोत्साहित किया जा रहा है। झारखंड पुलिस में पहाड़िया समुदाय के लिए दो बटालियन भी गठित किए गए हैं।
अल्पसंख्यकों को क्या मिला
हज हाउस के निर्माण में बीते सरकारों में गड़बड़ी सामने आई थी। गड़बड़ी की जांच एसीबी के द्वारा भी की गई, जिसमें पूर्ववर्ती सरकार में मंत्री रहे एक राजनेता के बेटे की भूमिका सामने आई थी । सरकार ने गड़बड़ी कर बनाए गए हज हाउस को तोड़कर 55 करोड़ की लागत से नया हज हाउस बनवाया। 5 सालों में झारखंड से 13417 हज यात्रियों को निशुल्क हज पर भेजा गया है।
आधी आबादी के 5 साल
झारखंड सरकार ने पहली बार बेटियों की पढ़ाई के लिए मुख्यमंत्री सुकन्या योजना लागू की। इस योजना के तहत जन्म से 18 साल तक 7 किस्तों में 40 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। इसके बाद विवाह के दौरान 30,000 रुपए सरकार दे रही है। योजना लागू होने के बाद 29 लाख बेटियों को इसका लाभ मिलेगा। विधवा और बेसहारा महिलाओं के लिए बाबा साहब भीमराव अंबेडकर आवास योजना बनाई गई है। इस योजना के तहत 30000 आवास बनाने के लक्ष्य थे। जिसमें से 10000 आवास बनाए जा चुके हैं । राज्य सरकार ने विधवा महिलाओं के लिए विधवा सम्मान पेंशन योजना भी शुरू की 171957 विधवा महिलाओं को 1000 प्रतिमाह पेंशन दिया जा रहा है। सरकार ने सामाजिक सुरक्षा पेंशन जैसे वृद्धा पेंशन विधवा पेंशन दिव्यांग पेंशन को 600 रुपये प्रतिमाह से बढ़ाकर 1000 रुपये किया है।