Joharlive Desk
धनबाद। झारखंड से एक बड़ी खबर सामने आई है। यहां के धनबाद में 10 करोड़ रुपए का अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति घोटाला होने का समाचार है। घोटाले में कल्याण विभाग के अधिकारी व कर्मचारी स्कूल संचालक व अंतरराज्यीय गिरोह शामिल है। गिरोह के सरगना चतरा जिले के हैं। कुछ सदस्यों ने धनबाद को भी अपना अस्थायी ठिकाना बना रखा था। एजेंटों के माध्यम से स्कूलों से संपर्क कर घोटाले को अंजाम दिया गया। इसमें कुछ स्थानीय दलाल भी शामिल हैं।
छात्रवृत्ति घोटाले में कल्याण विभाग के एक क्लर्क, एक कंप्यूटर ऑपरेटर समेत नौ अन्य लोगों पर नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। साथ ही जिले के 96 स्कूलों के प्राचार्य-संचालकों पर भी एफआईआर की गई है। एफआईआर संबंधित स्कूलों के थाना क्षेत्रों में की गई है। आरोप की जद में आए स्कूल जिले के ग्यारह अंचलों में स्थित हैं। उक्त जानकारी बुधवार को छात्रवृत्ति घोटाले की चार सदस्यीय जांच टीम के प्रमुख सह एडीएम विधि-व्यवस्था चंदन कुमार ने दी। जांच रिपोर्ट गुरुवार को राज्य सरकार को भेजी जाएगी। डीसी उमाशंकर सिंह ने बताया कि रिपोर्ट के साथ घोटाले की व्यापक जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराने की भी अनुशंसा की जाएगी।
उन्होंने धनबाद सर्किट हाउस में बताया कि प्रारंभिक जांच में 9.99 करोड़ रुपए का घोटाला पकड़ में आया है। इसमें 13306 छात्रों के नाम शामिल हैं। सभी मामले वित्तीय वर्ष 2019-20 से संबंधित हैं। इसमें जिला कल्याण पदाधिकारी व कार्यालय के कर्मचारियों की भी भूमिका है। चतरा का अंतरराज्यीय गिरोह के सदस्यों ने धनबाद के एजेंटों के साथ मिलकर घोटाले को अंजाम दिया। जांच टीम के सामने कई स्कूल के संचालकों ने जो जानकारी दी है, वह चौंकानेवाली है। इसमें जिला कल्याण विभाग से लेकर राज्य स्तर के अधिकारी व कुछ कर्मचारियों की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता है।
एडीएम ने बताया कि घोटाले में संलिप्त कल्याण विभाग के डिलिंग क्लर्क विनोद कुमार पासवान व कंप्यूटर ऑपरेटर अजय कुमार मंडल को बर्खास्त करने की अनुशंसा डीसी से की गई है। जल्द ही दोंनों को नौकरी से हटाया जाएगा। इस संबंध में डीसी ने कहा कि दोनों को गुरुवार को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा। 72 घंटे में शोकॉज का जवाब देने का अल्टीमेटम भी होगा। जवाब के बाद आगे की कार्रवाई होगी।
छात्रवृत्ति घोटाले में जिला कल्याण पदाधिकारी दयानंद दुबे की संलिप्तता और लापरवाही उजागर हुई है। गजटेड ऑफिसर होने के कारण उनपर कार्रवाई के लिए सरकार से मंजूरी जरूरी है। इसके लिए राज्य सरकार के पास प्रस्ताव भेजा जा रहा है। जांच अधिकारी ने कहा कि सक्षम अधिकारी की लापरवाही के कारण घोटाले को अंजाम दिया गया।
घोटाले की जांच में कई चौंकानेवाले मामले आए हैं। जिले में छात्रवृत्ति लेनेवालों की संख्या एक साल में ही 10 हजार से अधिक बढ़ गई। सत्र 2018-19 तथा 2019-20 की तुलना करें, तो राशि भी दस करोड़ से भी अधिक बढ़ गई। जांच अधिकारी ने बताया कि एक साल में ही दस हजार से भी अधिक संख्या बढ़ने के बाद भी कल्याण विभाग ने कोई ध्यान नहीं दिया। यह सबसे बड़ा सवाल है।
जांच अधिकारी ने बताया कि जांच में वित्तीय लेने-देन की भी पुष्टि हुई है। कुछ आरोपी व स्कूल के प्राचार्यों व आरोपियों को चेक, ऑनलाइन तथा फंड ट्रांसफर के माध्यम से खाते में भुगतान किया गया है। जांच टीम में शामिल एडीएम ने बताया कि चतरा गिरोह में 20-25 सदस्य शामिल हैं। गिरोह के कुछ सदस्यों ने धनबाद, पाकुड़ व साहिबगंज में अस्थायी ठिकाना बना रखा था। धनबाद में गिरोह ने स्थानीय एजेंटों को छोड़ रखा था। एजेंट स्कूलों से संपर्क करते थे। स्थानीय एजेंटों को एक छात्र के बदले एक हजार से दो हजार रुपए दिए जाते थे। फर्जी दस्तावेज भी गिरोह के सदस्य बनाते थे।
जांच अधिकारी ने बताया कि चतरा गिरोह के सदस्य बैंकों में अगरबत्ती कारोबारी बनकर परिचय देते थे और खाता खुलवाते थे। बैंको को बताया जाता था कि अगरबत्ती कारोबार से जुड़े लोगों के खाते में राशि आती है।
यह बने नामजद आरोपी
- विनोद पासवान- क्लर्क (कल्याण विभाग)
- अजय कुमार मंडल (कंप्यूटर ऑपरेटर कल्याण विभाग)
- गुलाम मुस्तफा ( अधिवक्ता)
- प्रताप जसवार (जिनियन पब्लिक स्कूल मौरानावांटांड़)
- नीलोफर परवीन (एजेंट)
- संतोष विश्वकर्मा
- अब्दुल हमीद
- झरी लाल महतो (जीबीएस पब्लिक स्कूल)
- कलीम अख्तर (गुरुकुल विद्यालय भौंरा)