झारखंड में बांग्लादेशियों की घुसपैठ बढ़ी है। राज्य के पाकुड़, साहिबगंज, जामताड़ा और गोड्डा में बांग्लादेशियों के द्वारा अवैध तरीके से प्रवेश कर जमीन की खरीद तक कर ली गई है। ऐसे में राज्य सरकार अब इस संबंध में सख्त कदम उठाने पर विचार कर रही। असम की तर्ज पर झारखंड में भी नेशनल रजिस्टर सिटीजन (एनआरसी) बनाने का काम शुरू हो सकता है। एनआरसी के तहत असम में रहने वाले लोगों के नाम की इंट्री की जाती है। एनआरसी ने असम में अपनी पहली रिपोर्ट में 1.39 करोड़ लोगों के नाम को सिटीजन रजिस्टर में शामिल नहीं किया था। ऐसे में उन्हें बांग्लादेश वापस भेजने की कवायद चल रही। झारखंड में एनआरसी के तहत ही संबंधित जिलों में अध्ययन कर अवैध तरीके से रहने वाले बांग्लादेशियों को चिन्हित किया जा सके, इसके लिए विशेष शाखा के एसपी धनंजय सिंह असम गए हैं। एसपी धनंजय सिंह असम जाकर यह जानकारी जूटा रहे हैं कि वह एनआरसी ने कैसे अवैध तरीके से रहने वाले बांग्लादेशियों को चिन्हित करने का काम शुरू किया है।
पीएफआई की है सक्रियता
झारखंड के चार जिले जहां बांग्लादेशियों के अवैध तरीके से बसने की सूचनाएं हैं, वहां प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया(पीएफआई) की सक्रियता रही है। पीएफआई को झारखंड सरकार ने फरवरी महीने में प्रतिबंधित किया था। बांग्लादेश के रास्ते जाली नोट के कारोबार भी झारखंड में फल फूल रहे। झारखंड की एंटी टेररिस्ट स्क्वायड(एटीएस) के द्वारा पाकुड़, साहेबगंज, जामताड़ा में जॉली नोट के मॉडयूल पर नजर रखी जा रही है। पीएफआई के अलावे इन जिलों में जमात उल मुजाहिदीन बांग्लादेश(जेएमबी) के संदिग़्ध भी सक्रिय रहे है। राज्य पुलिस की विशेष शाखा जेएमबी की गतिविधियों को लेकर पूर्व में सरकार को रिपोर्ट दे चुकी है।
क्या है एनआरसी
असम में बांग्लादेशियों को चिन्हित करने के लिए साल 2015 में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा नेशनल रजिस्टर सिटीजन को अपडेट करने का काम शुरू किया गया था। एनआरसी के तहत 25 मार्च 1971 से पहले बांग्लादेश से यहां आने वाले लोगों को स्थानीय नागरिक माने जाने का प्रावधान है। एनआरसी में जिनके नाम नहीं होंगे उन्हें नागरिक नहीं माना जाएगा। साहेबगंज, जामताड़ा में जॉली नोट के मॉडयूल पर नजर रखी जा रही है। पीएफआई के अलावे इन जिलों में जमात उल मुजाहिदीन बांग्लादेश(जेएमबी) के संदिग़्ध भी सक्रिय रहे है। राज्य पुलिस की विशेष शाखा जेएमबी की गतिविधियों को लेकर पूर्व में सरकार को रिपोर्ट दे चुकी है।
क्या है एनआरसी
असम में बांग्लादेशियों को चिन्हित करने के लिए साल 2015 में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा नेशनल रजिस्टर सिटीजन को अपडेट करने का काम शुरू किया गया था। एनआरसी के तहत 25 मार्च 1971 से पहले बांग्लादेश से यहां आने वाले लोगों को स्थानीय नागरिक माने जाने का प्रावधान है। एनआरसी में जिनके नाम नहीं होंगे उन्हें नागरिक नहीं माना जाएगा।

Share.
Exit mobile version