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केरल हाईकोर्ट के जज वी चिताम्बरेश बोले: ब्राह्मणों को जातिगत आरक्षण के खिलाफ आंदोलन करना चाहिए

केरल हाईकोर्ट के जज वी चिताम्बरेस इन दिनों काफी सुर्खियों में चल रहे हैं। जज वी चिताम्बरेश ने ब्राह्मणों को लेकर विशेष टिप्पणी की है। एक कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे न्यायाधीश ने कहा कि ब्राह्मण समुदाय को जातिगत आरक्षण के खिलाफ आंदोलन करना चाहिए। इस दौरान उन्होंने ब्राह्मण समुदाय की काफी सराहना करते हुए उनकी आदतों के बारे में भी कई तरह की विशेष टिप्पणी कर डाली।

जस्टिस चिताम्बरेश ने कहा कि ब्राह्मण धरती पर दो बार जन्म लेता है। ब्राह्मण के दो बार जन्म लेने की वजह उन्होंने अच्छे कर्मों का फल बताया। उन्होंने कहा कि पूर्व जन्म में किए अच्छे कर्मों की वजह से उसका दो बार ब्राह्मण के रूप में जन्म होता है।

जस्टिस चिताम्बरेश कुछ दिन पहले ही तमिल ब्राह्मण सम्मेलन में शिरकत करने पहुंचे थे। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने ब्राह्मण समुदाय की काफी तारीफ की। उन्होंने कहा कि आखिर ब्राह्मण कौन हैं? उन्होंने कहा एक ब्राह्मण द्विजन्मना होता है। यानी कि वह दो बार जन्म लेने वाला होता है। अपने पूर्व जन्म में किए गए अच्छे कर्मों की वजह से उसका दो बार जन्म होता है।

जस्टिस वी चिताम्बरेश ब्राह्मणों का गुणगान करते हुए कहा, ब्राह्मणों में कुछ खास विशेषताएं होती हैं, जैसे स्वच्छ रहना, अच्छी सोच, अच्छा चरित्र और ज्यातर का शाकाहारी होना। ब्राह्मण शास्त्रीय संगीत का पुजारी होता है। अगर किसी भी व्यक्ति के अंदर ये सभी आदतें समाहित हो जाती हैं तो वो ब्राह्मण होता है। इसी के साथ जस्टिस वी चिताम्बरेश ने ब्राम्हणों की सामाजिक-आर्थिक हालत पर कुछ सख्त टिप्पणी भी की। उन्होंने ब्राह्मणों को आर्थिक आधार पर आरक्षण के लिए आवाज उठाने के लिए कहा। हालांकि उन्होंने ये भी साफ किया कि इस कार्यक्रम के माध्यम से वो कोई अपनी राय जाहिर नहीं कर रहे हैं क्योंकि वो एक संवैधानिक पद पर हैं।

जस्टिस वी चिताम्बरेश ने कहा कि ये ब्राह्मणों के लिए मंथन करने का समय है। उन्होंने कहा कि क्या आरक्षण सिर्फ समूह या जाति के आधार पर दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि संवैधानिक पद पर रहते हुए मेरे लिए कोई भी राय देना उचित नहीं होगा लेकिन मैं आपको केवल ये बताना चाहता हूं कि आंदोलन करने के लिए आपके पास एक मंच है। आप सिर्फ आर्थिक आधार पर आरक्षण की बात उठाएं, जाति या धर्म पर आधारित आरक्षण की नहीं। उन्होंने कहा कि आर्थिक रूप से पिछले वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है। एक ब्राह्मण रसोइए का बेटा, यदि नॉन क्रीमी लेयर के दायरे में आता है तो उसे कोई आरक्षण का लाभ नहीं मिलता जबकि एक लड़की के व्यापारी का बेटा जो ओबीसी समुदाय से आता है उसे आरक्षण का लाभ मिलता है। उन्होंने कहा कि इस मामले में मैं आपको कोई राय नहीं दे रहा हूं। ये आप सभी को सोचना-समझना है और आपको अपने विचार आगे कैसे रखने हैं।

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