संयुक्त बिहार के बहुचर्चित पुलिस वर्दी खरीद घोटाला मामले में पूर्व डीजी रामचंद्र खान समेत अन्य आरोपियों को तीन साल की सजा सुनायी गई है। सीबीआइ कोर्ट ने जिन 3 अन्य आरोपियों को सजा सुनाई है , उसमें रांची के तत्कालीन सार्जेंट मेजर रामानुज शर्मा, सप्लायर राघवेंद्र सिंह और कैलाश अग्रवाल भी शामिल हैं। इन्हें आर्थिक दंड भी दिया गया है। घोटाला 35 लाख रुपए से भी अधिक का था। उस समय रामचंद्र खां रांची रेंज के डीआइजी थे। हालांकि सजा सुनाए जाने के कुछ देर बात कोर्ट ने सभी दोषियों को जमानत भी दे दी। 34 साल पुराने इस मामले के आधे से अधिक आरोपी की मौत हो चुकी है।
सीबीआई ने दर्ज किया था कांड
1983-84 में रांची में पुलिस वर्दी खरीद के नाम पर हुए इस बहुचर्चित घोटाला में सीबीआई ने 1986 में कांड दर्ज किया था। करीब 34 वर्ष पूर्व हुए इस घोटाले में बिहार के पूर्व डीजी रामचंद्र खां, पुलिस अधिकारी रामानुज शर्मा, सप्लायर कैलाश कुमार अग्रवाल, सप्लायर राघवेन्द्र कुमार सिंह समेत 10 लोगों को सीबीआई ने आरोपी बनाया था। ऊंचे दाम पर पुलिस वर्दी खरीद कर करीब लाखों का गबन करने के आरोप में फंसे इन लोगों पर सीबीआई कोर्ट में बहस पिछले दिनों पूरी कर लेने के बाद फैसला की तारीख सोमवार के लिए मुकर्रर की गई थी।
छह आरोपियों को हो चुका है निधन
सीबीआइ कोर्ट में वर्तमान समय में 04 आरोपी ट्रायल फेस कर रहे थे,जबकि अन्य छह आरोपी का निधन हो चुका है। जिन आरोपियों की मौत हो चुकी है, उनमें तत्कालीन रांची ग्रामीण एसपी ओटी मिंज, पूर्व आईपीएस रामहर्ष दास, पूर्व आईपीएस अनिल कुमार, सार्जेंट मेजर जेके सेन और पुलिस मुख्यालय में पदस्थापित सेक्शन ऑफिसर योगधर झा का नाम शामिल हैं.

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