झारखंड में मॉब लिंचिंग की वारदातों को हर हाल में रोकने का आदेश गृह मंत्रालय ने भेजा है। गृह मंत्रालय ने मॉब लिंचिंग की वारदातों में कार्रवाई के लिए मुख्य सचिव व राज्य के डीजीपी को पत्र भेजा है। जिसके बाद इस संबंध में सभी जिलों के एसपी को सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश की प्रति के साथ मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर रोक लगाने का आदेश पुलिस मुख्यालय ने भेजा है।

जिले में एसपी रैंक का होगा नोडल अफसर
प्रत्येक जिले में भीड़ के द्वारा हिंसा की वारदातों पर रोक लगाने के लिए एक एसपी स्तर के पदाधिकारी को नोडल अफसर बनाया जाएगा। एसपी को सहयोग देने के लिए डीएसपी रैंक के एक अफसर की भी तैनाती होगी। आदेश दिया गया है कि जिन जिला, प्रखंड में पांच साल के भीतर भीड़ के द्वारा मार डालने की घटना हुई है तो वहां उन वारदातों में शामिल लोगों को तीन हफ्तों के भीतर चिन्हित करें। गृह सचिव व डीजीपी से भी लगातार मॉनिटिरंग करने की बात कही गई है।

क्या है पत्र में
राज्य को भेजे गए पत्र में गृह मंत्रालय ने लिखा है कि बच्चा चोरी, गो तस्करी समेत अन्य अफवाहों की वजह से आम लोग कानून अपने हाथ में ले रहे, इसके बाद भीड़ के द्वारा हत्याएं की गई हैं। 4 जुलाई को भी केंद्र ने इस संबंध में राज्यों को एडवाइजरी भेजा था। पत्र में जिक्र है कि पुलिस राज्यों का मुद्दा है। अपराध, कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी राज्यों पर है। किसी भी नागरिक के धर्म, जाति के आधार पर भेद भाव न हो, इसका ध्यान रखा जाए।
झारखंड में मॉब लिंचिंग की प्रमुख कांड
– 18 मई 2017 को जमशेदपुर के नवाडीह गांव में तीन लोगों की हत्या। बच्चा चोरी के संदेह में हत्या।
– 19 मई 2017 को सरायकेला- खरसांवा के शोभापुर गांव में चार की हत्या। गो तस्करी में शामिल होने के संदेह में हत्या।
– 29 जून 2017 को रामगढ़ में अलीमुद्दीन अंसारी की पीट पीट कर हत्या, कोर्ट ने 11 को दोषी पाया। हाल में आरोपियों को जमानत मिली है। अलीमुद्दीन पर प्रतिबंधित मांस की तस्करी का आरोप लगाते हुए भीड़ ने पिटाई की थी।

Share.
Exit mobile version