किशलय शानू
रांची। संयुक्त बिहार में राज्य का दक्षिणी इलाका पूरी तरह उग्रवाद के साये में था। झारखंड राज्य गठन के ठीक पहले रांची के पड़ोसी जिले लोहरदगा के पेशरार में एसपी अजय कुमार नक्सली हमले में शहीद हो गए थे। जिसके बाद से पुलिस बैकफूट पर थी। राज्य में इसके बाद 19 सालों में नक्सलियों के निशाने पर हमेशा ही सुरक्षाबल रहे। पाकुड़ के एसपी रहे अमरजीत बलिहार,डीएसपी स्तर के अधिकारी बुंडू में डीएसपी प्रमोद कुमार, पलामू में देवेंद्र राय, चतरा में विनय भारती नक्सली हमले में शहीद हुए हैं। वहीं राज्य सरकार के मंत्री रहे रमेश सिंह मुंडा को भी नक्सलियों ने बुंडू में स्कूली कार्यक्रम में मौत के घाट उतार दिया था। लेकिन बीते 5 सालों ने नक्सली धमक से निपटने के लिए राज्य सरकार ने अब दोहरी नीति अपनायी। एक तरफ अभियान को तेज किया गया तो दूसरी तरफ माओवादी प्रभाव वाले इलाकों को चिन्हित कर वहां फोकस एरिया डेवलपमेंट प्लान शुरू किया गया। अभियान में तेजी के लिए सीआरपीएफ की 180 कंपनियों की तैनाती राज्य में की गई। वहीं नक्सली अभियान के लिए सटीक सूचनाएं मिले इसके लिए 5100 गुप्तचरों की तैनाती जिलों व विशेष शाखा में की गई। ग्रे हाउंड की तर्ज पर राज्य में जगुआर की स्मॉल एक्शन टीमें बनाई गईं व तेलंगाना की तर्ज पर एसआईबी का गठन भी किया गया। जिससे राज्य में माओवादी वारदातों पर लगाम लगी।
माओवादी घटनाओं में 60 फीसदी कमी
राज्य पुलिस अलंकरण परेड के दौरान राज्य के डीजीपी कमलनयन चौबे के किये दावे की माने तो राज्य में माओवादी वारदातों में 60 फीसदी तक की कमी आयी है। राज्य में गठन के पूर्व कई नेशनल हाईवे माओवादी खौफ के कारण बंद हो जाते थे, लेकिन अब झारखंड में कहीं भी नेशनल हाईवे रात में बंद नहीं होता। राज्य में माओवादी दृष्टिकोण से गृह मंत्रालय ने 19 जिलों को नक्सल प्रभावित जिलों की सूची में रखा है, जिसमें 13 जिले सर्वाधिक नक्सल प्रभाव वाले हैं। इस साल केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जो सूची जारी की थी, उसके मुताबिक देश के 30 अतिनक्सल प्रभाव वाले जिलों में 13 जिले झारखंड के हैं। हालांकि इन जिलों में समिति क्षेत्र में ही माओवादी गतिविधि होने का दावा झारखंड पुलिस करती रही है।
2401 नक्सलियों व उनके समर्थकों की हुई गिरफ्तारी
राज्य पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों के मुताबिक, बीते पांच सालों में नक्सल वारदातों पर लगाम लगा है। राज्य पुलिस ने पांच सालों में 2401 नक्सलियों व उनके समर्थकों की गिरफ्तारी की है। गिरफ्तार नक्सलियों के पास से पुलिस से लूटे गए 182 हथियारों की बरामदगी हुई है। पुलिस ने 51 रेगुलर हथियार समेत कुल 1432 हथियार, 48553 कारतूस , 2703 लैंडमाइंस व ग्रेनेड बरामद की है। उग्रवादियों के पास से पुलिस ने 5.68 करोड़ रूपये लेवी की रकम भी बरामद की है। पुलिस के लगातार अभियान व दबिश के कारण 196 नक्सलियों ने अबतक सरेंडर भी किया है।
नक्सलवाद पर लगाम के लिए 13 फोकर एरिया में डेवलपमेंट प्लान
नक्सल इलाकों में बने कैंप व लगातार अभियान की बदौलत नक्सल प्रभाव में कमी आयी है। नक्सल फंडिंग पर लगाम लगाने के लिए राज्य पुलिस अब केंद्रीय एजेंसियों राष्ट्रीय जांच एजेंसी(एनआईए) और प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) के साथ मिलकर काम कर रही। फरार चले रहे दो दर्जन उग्रवादियों की संपत्ति जब्त की जा चुकी है। वहीं स्पिलिंटर ग्रुप टीपीसी और पीएलएफआई पर भी शिकंजा कसा है। राज्य पुलिस ने नक्सलियों कि खिलाफ सूचनाएं जुटाने के लिए स्पेशल इंवेस्टिगेशन ब्यूरो(एसआईबी) और आतंकी गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए आतंक निरोधक दस्ता(एटीएस) का गठन भी राज्य गठन के बाद किया गया है।
कैसे उग्रवादियों पर कसा शिकंजा
झारखंड में उग्रवादी बैकफुट पर हैं। उग्रवादियों ने बीते चार सालों में एक भी पुलिस थाना, ओपी या पिकेट पर हमला नहीं किया। पुलिस मुख्यालय का भी दावा रहा है कि राज्य में नक्सली वारदातों में जबरदस्त कमी आयी है। नक्सल प्रभाव वाले इलाकों में सारंडा एक्शन प्लान, सरयू एक्शन डेवलपमेंट प्लान, झूमरा एरिया डेवलपमेंट एक्शन प्लान, चतरा एरिया डेवलपमेंट एक्शन प्लान,बानालात इंटीग्रेटेड एक्शन प्लान, गिरिडीह- कोडरमा- बाडरिंग एरिया डेवलपमेंट प्लान, दुमका- गोड्डा बाडरिंग एरिया डेवलपमेंट प्लान, खूंटी- सरायकेला- चाईबासा बाडरिंग एरिया डेवलपमेंट प्लान, सिमडेगा- खूंटी बाडरिंग एरिया एक्शन प्लान, जमशेदपुर एरिया एक्शन प्लान, पलामू- चतरा एक्शन प्लान, गढ़वा- लातेहार – पलामू बाडरिंग एरिया एक्शन प्लान के तहत सरकार काम कर रही है। इन इलाकों में पुलिस सुरक्षा में स्कूल भवन, पुल- पुलिया, बांध का निर्माण कराया जा रहा है। रोजगार के साधन मूहैया कराए जा रहे हैं।नक्सल अभियानों के लिए राज्य भर में स्मॉल एक्शन टीम गठित की गई है। नौ हफ्तो की विशेष काउंटर इंसर्जेंसी ट्रेनिंग ले चुकी 300 स्मॉल एक्शन टीमों को उग्रवाद प्रभावित इलाकों में तैनात किया गया है। जगुआर की 40 एसॉल्ट ग्रूप भी अभियान में विशेष रूप से सक्रिय है।
512 पुलिसकर्मी और 1778 आमलोग हुए हैं नक्सली हिंसा के शिकार
झारखंड गठन के बाद नक्सली वारदातों में 516 पुलिसकर्मी व 1778 आमलोग मारे गए हैं। वहीं, झारखंड पुलिस ने साल 2001-18 के बीच 846 नक्सलियों को भी मुठभेड़ों में मार गिराया है।