रांची : झारखंड में 1,000 से अधिक सूअरों की जान लेने वाले अफ्रीकी स्वाइन फ्लू के बाद, पूर्वी राज्य में लंपी चर्म रोग के बढ़ते मामले मवेशियों को संक्रमित कर रहे हैं। इससे पशुपालन विभाग की चिंता बढ़ गई है। हालांकि, वायरल संक्रमण के कारण अभी तक जिलों में गौजातीय मवेशियों की मौत नहीं हुई है। एक अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी।
लंपी चर्म रोग एक संक्रामक वायरल रोग है जो मवेशियों में मच्छरों, मक्खियों, जूं और ततैया के सीधे संपर्क में आने से और दूषित भोजन और पानी के माध्यम से फैलता है। इस रोग के कारण बुखार और त्वचा पर गांठें पड़ जाती हैं, जो घातक हो सकता है। पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन संस्थान के निदेशक विपिन बिहारी मेहता ने बताया कि रांची और देवघर जिलों से हमें लंपी चर्म रोग के कुछ मामले मिले हैं।
उन्होंने बताया कि इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए पशुपालन विभाग ने सभी 24 जिलों को एडवाइजरी जारी कर कहा है कि यदि उनके संबंधित क्षेत्रों में लंपी त्वचा रोग का कोई मामला सामने आता है तो वे नमूने भेजें। राज्य में पिछले साल भी यह बीमारी सामने आई थी। लेकिन, बहुत कम मामले थे। इस साल मामले बढ़ रहे हैं। हमने डेयरी किसानों को बीमारी के लक्षण दिखाने वाले मवेशियों को आइसोलेशन में रखने को कहा है।
मेहता ने कहा कि लक्षणों में लगभग दो से पांच सेंटीमीटर की त्वचा की गांठ, तेज बुखार, दूध उत्पादन में कमी, भूख न लगना और आंखों से पानी आना शामिल हैं। केंद्र ने हाल ही में कहा था कि गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में फैली इस बीमारी के कारण अब तक लगभग 57,000 मवेशियों की मौत हो चुकी है। उन्होंने कहा कि सबसे अच्छी बात यह है कि अब हमारे पास बीमारी को नियंत्रित करने के लिए एक टीका है।
वहीं, अफ्रीकन स्वाइन फ्लू (एएसएफ) के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि स्थिति नियंत्रण में है और राज्य में मृत्यु दर में भी कमी आई है। रांची में कांके स्थित सरकारी सुअर प्रजनन फार्म में, एएसएफ के प्रकोप से पहले लगभग 1,100 सूअर थे। एक अधिकारी ने कहा कि अभी इस प्रजनन फार्म में केवल 300 सुअर हैं।