रांची। कोरोना काल के बाद कारण दो वर्षो तक गणेश पूजा का आयोजन नहीं हो सका था। इस वर्ष पूजा करने का अवसर मिला तो गणेश पूजा आयोजक और श्रद्धालु पूरे धूमधाम से गणेश पूजा मना रहे है। राजधानी में जगह जगह पूजा पंडाल बनाकर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित की गई है। आयोजन समितियों द्वारा पंडाल और आसपास के स्थानों लाईट और फूलों से आकर्षक ढंग से सजाया गया है।
साउंड सिस्टम पर गणपति की भजन से पूरा शहर भक्तिमय हो गया है। सुबह से ही मंदिरों और पंडालों में श्रद्धालुओं की भीड़ देखी जा रही है। लोग अपने अपने घरों में भी गणपति के आगमन पर पूजा अर्चना किए। 10 दिनों तक चलने वाला गणेश उत्सव का पर्व 9 सितंबर को गणेश विसर्जन के साथ समाप्त होगा।
हिंदू धर्म के मान्यताओं के मुताबिक, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि स्वाति नक्षत्र के मध्यान काल में गणेश का आगमन हुआ है। शास्त्रों के अनुसार, गणेश का नाम किसी भी काम के लिए पहले पूज्य है। वह गणों के अधिपति है और प्रथमपूज्य भी हैं। गणों के अधिपति होने के कारण ही उन्हें गणपति कहा जाता है।
भगवान गणेश के अनेक नाम हैं। जैसे गजानन, गणपती, गणेश, विघ्नहर्ता समेत अन्य। हिंदू पंचांग के अनुसार भादपद्र माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश का जन्म हुआ था और इसी के कारण गणेश चतुर्थी का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।