रांची। हजारीबाग जिले के बड़कागांव के चीरूडीह में एनटीपीसी द्वारा अधिग्रहित क्षेत्र में खनन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हुए हिंसा मामले में अपर न्यायायुक्त विशाल श्रीवास्तव की अदालत ने पूर्व मंत्री योगेन्द्र साव एवं उनकी पत्नी निर्मला देवी को अधिकतम 10-10 साल की सजा सुनाई है। दोनों पति पत्नी को हिंसा, आगजनी और सरकारी काम में बाधा डालने का दोषी माना है। अधिकारियों पर जानलेवा हमले (धारा 307) में अधिकतम सजा दी है। वहीं, धारा 326 में 5 साल की सजा सुनाई गई है। सुनवाई वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये हुई। होटवार जेल में बंद दोनों पति पत्नी को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये पेश किया गया। फैसला सुनाने से पहले दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की बहस हुई।
सुनवाई के दौरान पूर्व मंत्री योगेंद्र साव की बेटी अंबा प्रसाद भी कोर्ट में उपस्थित हुई। वे अभी बरका गांव की विधायक हैं। अम्बा ने भी कोर्ट से कम से कम सजा सुनाने की गुहार लगायी।
घटना 1 अक्टूबर 2016 की है। बड़कागढ़ के चिरूडीह के खनन क्षेत्र में एनटीपीसी को जमीन दी गई गई थी। एनटीपीसी अधिग्रहित क्षेत्र से कोयला खनन कर रहा था। पूर्व मंत्री योगेंद्र साव व तत्कालीन विधायक निर्मला देवी अधिग्रहण का विरोध कर रहे थे।
15 सितंबर 2016 को निर्मला देवी अपने समर्थकों के साथ कफन सत्याग्रह पर बैठ गई। यह सत्याग्रह 30 सितंबर तक जारी रहा। इस कारण उत्खनन कार्य अवरुद्ध हो गया। एक अक्टूबर की सुबह छह बजे एएसपी कुलदीप कुमार, सीओ शैलेश कुमार सिंह अन्य पुलिस अधिकारी व जवानों के साथ मौके पर पहुंचे। सत्याग्रह कर रहे लोगों को विरोध समाप्त करने की अपील की। नहीं मानने पर पुलिस बल ने विधायक निर्मला देवी को हिरासत में ले लिया।
इसके बाद पुलिस के साथ हिंसक झड़प हो गई। भीड़ ने पुलिस टीम पर हमला कर विधायक को छुड़ा लिया था। हिंसा में एसएसपी कुलदीप, सीओ शैलेश कुमार सिंह सहित कई अधिकारी व जवान घायल हो गए। वहीं, विरोध प्रदर्शन कर रहे चार लोगों की भी मौत हो गई। आनन-फानन में घायल अधिकारियों को एयरलिफ्ट कर रांची के मेडिका अस्पताल लाया गया।
वहीं, दो अक्टूबर 2016 को बड़कागांव में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। एएसपी के बयान पर पूर्व मंत्री योगेंद्र साव, तत्कालीन विधायक निर्मला देवी एवं अंकित को आरोपित बनाया गया था।
योगेंद्र साव पर बड़कागांव हिंसा केस के अलावा दो दर्जन से ज्यादा मामले हजारीबाग के विभिन्न थानों में दर्ज थे। योगेंद्र साव केस प्रभावित न कर सके इसको देखते हुए अप्रैल 2019 के प्रथम सप्ताह में सर्वोच्च न्यायालय ने उनसे जुड़े सभी मामले रांची की अदालत में स्थानांतरित करने का आदेश दिया।
अदालत ने पूर्व मंत्री योगेंद्र साव व उनकी पत्नी निर्मला देवी को 325(गंभीर रूप से घायल करने), 326(आगजनी), 148(दंगा फसाद), 307(हत्या की कोशिश), 188(निषेधाज्ञा का उलंघन), 353(सरकारी कार्य में बाधा), 120बी(षडयंत्र करना) सहित अन्य धाराओं में दोषी ठहराया है।