Bokaro : झारखंड के बोकारो जिले में एनकाउंटर के बाद फरार चल रही महिला नक्सली सुनीता मुर्मू उर्फ लीलमुनि मुर्मू ने 28 अप्रैल 2025 को आत्मसमर्पण कर दिया। उसने बोकारो के पुलिस अधीक्षक कार्यालय में पुलिस और वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण किया।
21 अप्रैल को हुआ था बड़ा एनकाउंटर
21 अप्रैल 2025 को डीजीपी के निर्देश पर बोकारो जिले के लूगू पहाड़ क्षेत्र में “डाकाबेड़ा” नामक एक बड़ा ऑपरेशन चलाया गया था। इस ऑपरेशन में 209 कोबरा, बोकारो पुलिस, झारखंड जगुआर और सीआरपीएफ के संयुक्त बलों ने भाग लिया। मुठभेड़ में भाकपा (माओवादी) के केंद्रीय कमेटी सदस्य प्रयाग मांझी उर्फ विवेक समेत 8 नक्सली ढेर हो गए थे। सुरक्षाबलों ने भारी मात्रा में हथियार और गोलियां भी बरामद की थीं।
मुठभेड़ के दौरान भागी थी सुनीता
मुठभेड़ के दौरान सुनीता मुर्मू मौके से भागने में सफल रही थी। शीर्ष नेतृत्व के मारे जाने और झारखंड सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर उसने आत्मसमर्पण का फैसला लिया।
आपराधिक इतिहास भी रहा है
22 वर्षीय सुनीता मुर्मू दुमका जिले के शिकारीपाड़ा थाना क्षेत्र के अमरपानी गांव की रहने वाली है। वह पूर्व में गिरिडीह जेल में तीन साल तक न्यायिक हिरासत में रह चुकी है। उसके खिलाफ महुआटांड और खुखरा थानों में आर्म्स एक्ट, विस्फोटक अधिनियम और यूएपीए के तहत कई गंभीर मामले दर्ज हैं।
गलती का एहसास हुआ – सुनीता
मीडिया से बातचीत में सुनीता ने बताया कि माओवादी संगठन के लोग उसे घर से कोर्ट ले जाने के बहाने पहाड़ की ओर ले गए थे। वहां पहुंचने के बाद उसे पता चला कि वह गलत रास्ते पर आ चुकी है। मुठभेड़ के बाद वह जंगलों में भटकती रही और बाद में ट्रेन से बोकारो पहुंचकर आत्मसमर्पण किया। पुलिस ने सुनीता के आत्मसमर्पण को नक्सल उन्मूलन अभियान में एक बड़ी सफलता बताया है।
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