Ranchi : वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया के रूप में मनाया जाता है। इसे युगादि तिथि भी कहा जाता है, क्योंकि इसी दिन त्रेता युग का आरंभ हुआ था। इस वर्ष अक्षय तृतीया मंगलवार से प्रारंभ होकर 30 अप्रैल को पूरे दिन रहेगी। उदयातिथि के अनुसार व्रत और पर्व 30 अप्रैल को ही मनाया जाएगा।
पंडित (पुरोहित) मनोज पांडेय ने सोमवार को बताया कि सोना और चांदी को धन की देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है। यह समृद्धि का भी प्रतीक है। इसलिए इस दिन की गई खरीददारी को अक्षय माना गया है। इस बार बुधवार और रोहिणी नक्षत्र का संयोग बन रहा है, जो शुभफलदायी है। इस दिन पीली धातु सोने को सबसे पवित्र माना गया है और इसे भगवान विष्णु सें संबंधित बताया गया है, इसलिए सोने की खरीददारी सौभाग्य का सूचक है। पद्म पुराण के अनुसार, इसी दिन कुबेर की देवताओं का खजाने का मालिक बनाया गया था। इस तिथि को लक्ष्मी माता पूजा का विशेष महत्व है।
पुरोहित ने कहा कि अक्षय तृतीया को आखा तीज के नाम से भी जानते हैं, जो कि धर्मग्रंथों के अनुसार एक शुभदिन है। यह सौभाग्य, सुख और समृद्धि का प्रतीक है। इस दिन भगवान विष्णु, गणेश और देवी लक्ष्मी की पूजा का विधान है। इस वर्ष यह त्योहार 30 अप्रैल को होगा। इस दिन नए उद्योग, नए व्यवसाय, नई नौकरी, नए निवास में जाना, वाहन लेने का एक शुभ समय है। साथ ही यह दिन हमारे पूर्वजों को सम्मान देने और उनका आशीर्वाद लेने का भी दिन है। कुछ नया शुरू करने के लिए यह दिन सबसे अच्छे दिनों में से एक माना जाता है। इस दिन सोना, चांदी जैसी कीमती सामान खरीदने का विधान है। मान्यता है कि यह परिवार में समृद्धि और सौभाग्य लाता है।
पुरोहित ने बताया कि इस दिन देवताओं की पूजा आराधना, अनुष्ठान करने का विधान है। गंगा स्नान, पंखा, जल से भरा घड़ा, मौसमी फल का दान जरूर करना चाहिए। अक्षय तृतीया पर गुप्त दान का विशेष महत्व है। इस दिन कोहड़े या तरबूज के अंदर शक्ति और भक्ति के अनुसार सोना रखकर दान करने से भी अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। जितना हो सके जरूरतमंदों को भी दान दें।
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